Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2023 · 1 min read

रेत सी इंसान की जिंदगी हैं

रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
न जाने कब फिसल जाती हैं।
बस रेत ही रेत तो रह जाती हैं।

278 Views

You may also like these posts

“ख़्वाब देखे मैंने कई  सारे है
“ख़्वाब देखे मैंने कई सारे है
Neeraj kumar Soni
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3959.💐 *पूर्णिका* 💐
3959.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" प्रार्थना "
Chunnu Lal Gupta
रिश्ते फरिश्तों से
रिश्ते फरिश्तों से
Karuna Bhalla
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
कवि दीपक बवेजा
मैंने खुद की सोच में
मैंने खुद की सोच में
Vaishaligoel
नारी है नारायणी
नारी है नारायणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
Manju sagar
लिखने का आधार
लिखने का आधार
RAMESH SHARMA
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
Dr Archana Gupta
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
भगवान बचाए ऐसे लोगों से। जो लूटते हैं रिश्तों के नाम पर।
भगवान बचाए ऐसे लोगों से। जो लूटते हैं रिश्तों के नाम पर।
*प्रणय*
अधूरा एहसास(कविता)
अधूरा एहसास(कविता)
Monika Yadav (Rachina)
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
★हसीन किरदार★
★हसीन किरदार★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
स्वयं अपने चित्रकार बनो
स्वयं अपने चित्रकार बनो
Ritu Asooja
"सियाही का जादू"
Dr. Kishan tandon kranti
उमंगों की राह
उमंगों की राह
Sunil Maheshwari
तुम्हारी मुस्कराहट
तुम्हारी मुस्कराहट
हिमांशु Kulshrestha
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 )
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से "
Mamta Singh Devaa
चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू,
चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू,
पंकज परिंदा
एक तजुर्बा ऐसा भी
एक तजुर्बा ऐसा भी
Sudhir srivastava
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
VINOD CHAUHAN
#धोती (मैथिली हाइकु)
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दोपहर की धूप
दोपहर की धूप
Nitin Kulkarni
या तुझको याद करूं
या तुझको याद करूं
डॉ. एकान्त नेगी
" महखना "
Pushpraj Anant
Loading...