Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2022 · 1 min read

रूह से मिल के बिना, रूहानियत नहीं मिलती।

#इंसानियत

रूह से मिल के बिना, रूहानियत नहीं मिलती।
रूहानियत मिले जहां, हैवानियत नहीं मिलती।
दुनियां में मिलती चीज सब, पैसे से हर जगह,
खुद में नहीं जो आपके, इंसानियत नहीं मिलती।

…….✍️ प्रेमी

Language: Hindi
570 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all

You may also like these posts

- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
bharat gehlot
याद भी तेरी साथ लाती है।
याद भी तेरी साथ लाती है।
Dr fauzia Naseem shad
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ  ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
DrLakshman Jha Parimal
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यादों की दहलीज
यादों की दहलीज
ओनिका सेतिया 'अनु '
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
पूर्वार्थ
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
प्रत्यक्ष खड़ा वो कौन था
Chitra Bisht
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उसने सिला हमको यह दिया
उसने सिला हमको यह दिया
gurudeenverma198
"रचना मुर्गी के अंडे की तरह सेने से तैयार नहीं होती। यह अंतर
*प्रणय*
ख्वाब तुम्हारे मेरी आंखों में
ख्वाब तुम्हारे मेरी आंखों में
Sudhir srivastava
चेतावनी
चेतावनी
श्रीहर्ष आचार्य
जल्दी आओ राम बाद में
जल्दी आओ राम बाद में
Baldev Chauhan
मन का उदगार
मन का उदगार
RAMESH Kumar
कविता और गरीब की लुगाई / MUSAFIR BAITHA
कविता और गरीब की लुगाई / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
पहले खुद संभलिए,
पहले खुद संभलिए,
Jyoti Roshni
मेरा वजूद क्या
मेरा वजूद क्या
भरत कुमार सोलंकी
हास्य कुंडलिया
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चाय
चाय
MEENU SHARMA
*प्रभु पर विश्वास करो पूरा, वह सारा जगत चलाता है (राधेश्यामी
*प्रभु पर विश्वास करो पूरा, वह सारा जगत चलाता है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-177 के श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-177 के श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
Ravikesh Jha
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
"क्या लिखूं क्या लिखूं"
Yogendra Chaturwedi
*किसान*
*किसान*
Dushyant Kumar
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
रिश्ता-ए–उम्मीद
रिश्ता-ए–उम्मीद
RAMESH SHARMA
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
Loading...