रूप की राजधानी
रूप की राजधानी लगे है कोई
इक परी आसमानी लगे है कोई
भूल जाऊँ जिसे पढ़ के चैनो सुकूँ
वो अधूरी कहानी लगे है कोई
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’
रूप की राजधानी लगे है कोई
इक परी आसमानी लगे है कोई
भूल जाऊँ जिसे पढ़ के चैनो सुकूँ
वो अधूरी कहानी लगे है कोई
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’