रूपमाला छन्द
कुछ सुधार करने पर:-
रूपमाला छन्द,
2122 2122 2122 21
गीत
डस रही है आज बैरन, नागिनों सी रात।
रो रहीं हूँ याद करके, आपकी हर बात।
नींद आंखों से गयी अब, दूर है सुख चैन।
काटते कटती नहीं है, विरह की ये रैन।
याद आये साजना के,प्रेम की वो बात।
डस रहींहैं आज बैरन,नागिनों सी रात।
माह बीते जा रहे हैं, तू न आया पास
मैं निहारूँ वाट तेरी, ले हृदय में आस।
प्यास है दिल में मिलन की,लो समझ जज्बात।
डस रही है आज बैरन, नागिनों सी रात।
याद में तेरी नयन से,बह रहा है नीर।
बात बिसरी याद आये, बढ़ रही है पीर।
शर्द रातें आ रहीं हैं, हो रहा हिमपात।
डस रही है आज बैरन, नागिनों सी रात।
■अभिनव मिश्र