रूठी बीवी को मनाने चले हो
रूठी बीवी को मनाने चले हो,
खाली हाथ को बढ़ाने चले हो।
हाल तो देखो पहले कमान की,
खाली तीर को चढ़ाने चले हो।
जरा तैयार करो अपने आप को,
यूँ किसी को बनाने चले हो।
लिया भी नहीं कोई तोहफा भी ,
खाली प्यार को जताने चले हो।
– प्रेम फर्रुखाबादी