रुमाल को तिजोरी में रखा हुआ है
जिस रुमाल से उसने नम आंखें पहुंची ,
उस रुमाल को तिजोरी में रखा हुआ है |
जिस राहों पर उसका आना हुआ कभी
वहीं पर एक दिया जलाए रखा हुआ है ||
कवि दीपक सरल
जिस रुमाल से उसने नम आंखें पहुंची ,
उस रुमाल को तिजोरी में रखा हुआ है |
जिस राहों पर उसका आना हुआ कभी
वहीं पर एक दिया जलाए रखा हुआ है ||
कवि दीपक सरल