रुपमाला छंद (मदन छंद)
रुपमाला छंद (मदन छंद )
पर आधारित चतुष्पदी
संरचना- 212 2 2122 2122 22
एक खुशबू भीड़ में भी , फैल जाती दूर ,
एक. पंछी के सुने सब , बोल भी भरपूर ,
एक माला फूल की भी, चूर कर दे खार –
कामयाबी एक से ही , लोग बनते नूर |
कामयाबी आपकी है , आपका आधार ,
आपका ही आज यह है , दूर तक मधु प्यार ,
दे रहा यह फूल जो अब , नेह की है बेल-
आपसे है नूर उपजा , आपका श्रृंङ्गार |
चाह के आगाज का भी , मत बनाना खेल ,
बूँद नफ़रत की जला दे , आपका सब मेल ,
चमकता है प्यार भी जब, दूर तक आबाज –
टूट जाती बंदिशे भी , दीप में हो तेल |
© सुभाष सिंघई
(एम•ए• हिंदी साहित्य , दर्शन शास्त्र )
जतारा (टीकमगढ़) म०प्र०