रुतबे के हस्र
आसान नहीं है रुतबे के हस्र देख पाना,
जरा फक्र, हमारे लिए भी रखती …
मन उदास, हमारे भी होते है …
दर्द दिल के किसी और के भी पहचान लेती.
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बडी मासूमियत से फना कर डाले,
सपने, जो दिल तक उतर चुके थे.
अब मुश्किल है.
तुम बिन जीना.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस