रुक क्यों जाता हैं
एक चोट जो पैर में आई
क्यों उसको तू घाव बनाता हैं
राह छोड़कर तू रुक क्यों जाता हैं।
बीज जब निकलता धरती से
कितना साहस करता होगा
उसको धरा पर रोक सके जो
ऐसा कभी पैदा हुआ नहीं तो
राह छोड़कर तू रुक क्यों जाता हैं।
बूंद बूंद पानी गिरता तब
फर्क कहाँ पड़ता पत्थर को
पर एक निरंतरता से बूंदों की
पत्थर भी दो टुकड़े हो जाता तो
राह छोड़कर तू रुक क्यों जाता है।
राजनीति को दिशा दिखाने
मोदी जैसी एक सोच है आई
एक जुगनू को सितारा बनाने
वाजपेयी सी लौ एक छाई
हिम्मत को किनारा लगाकर
राह छोड़कर तू रुक क्यों जाता है।।