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9 Feb 2018 · 1 min read

रुकना तेरा धर्म नहीं रे !

तुम हो इक बहती धारा,
बाँध तोड़ सब बहना है ।
रुकना तेरा धर्म नहीं रे !
बस इतना ही कहना है ।

सुख-दुख दो जीवन के किनारे,
हानि-लाभ परिणाम तुम्हारे ।
धूप-छाँव तट को छूकर, बस
आगे ही बढ़ते रहना है ।
रुकना तेरा धर्म नहीं रे !
बस इतना ही कहना है ।..

आलिंगन सिंधु से प्यारे,
हर लेगा संताप ये सारे ।
खोकर के अस्तित्व अहं ,
बस उसके हो रहना है ।
रुकना तेरा धर्म नहीं रे !
बस इतना ही कहना है ।…

दीपक चौबे ‘अंजान’

Language: Hindi
Tag: गीत
416 Views
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