Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2019 · 2 min read

रिहाई

विभा आँखे फाड़ फाड़ कर पति सुनील को देख रही थी अट्ठाइस साल हो गए शादी को। शादी के बाद जितने कष्ट सुनील ने उसे दिये। उसके माँ बाप भाइयों को गालियां दी। उस पर हाथ भी उठाया । अपने घर वालों के आगे उसे कुछ नहीं समझा। आज तीस साल बाद अपने बेटे की आंखों में चढ़ने के लिये उसके ससुराल वालों के पैरों में पड़ा था । जबकि उन्होंने अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी । प्रेम विवाह का पूरा फायदा उठा रहे थे। जिस मान सम्मान को लेकर विभा का जीना मुश्किल कर दिया था आज सब कुछ भूल गया था। उसे जितनी नफरत सुनील से हो रही थी उतना ही रोना अपनी किस्मत पर आ रहा था । ये सुनील पहले अपनी माँ बात भाई बहनों का रहा और अब बुढापे में अपने बच्चों का । उसका हुआ ही कब । कौन है उसका । बेटा भी हर कदम पर माँ को ही नीचा दिखाने पर तुला रहता है । किसके लिये जी रही है वो। बस काम करने वाली मशीन बन कर रह गई है। उसे घुटन होने लगी। इस जेल में उसका दम घट रहा था । यही सोचते 2 अपने कमरे में चली गई।दरवाजा बंद कर लिया । अचानक कुछ सोचकर आँसू पूछे।हौले से मुस्कुराई। आज कैद से आज़ाद जो होने जा रही थी। फिर एक कागज पर लिखा अपनी मौत के लिये वो खुद जिम्मेदार है। घर के किसी भी सदस्य को तंग न किया जाए । और दसवीं मंज़िल से कूद गई । डरपोक विभा को आज जरा भी डर नहीं लगा।

31-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 490 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

वृक्ष
वृक्ष
Kanchan Advaita
प्रणय
प्रणय
Rambali Mishra
संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है
संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है
पूर्वार्थ
राज़ हैं
राज़ हैं
surenderpal vaidya
भाग्य
भाग्य
लक्ष्मी सिंह
पहली बारिश मेरे शहर की-
पहली बारिश मेरे शहर की-
Dr Mukesh 'Aseemit'
*आओ पूजें कृष्ण को, पूजित जिनसे गाय (कुंडलिया)*
*आओ पूजें कृष्ण को, पूजित जिनसे गाय (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
" हय गए बचुआ फेल "-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
साजन की याद ( रुचिरा द्वितीय छंद)
साजन की याद ( रुचिरा द्वितीय छंद)
guru saxena
"साल वन"
Dr. Kishan tandon kranti
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
Kumar Kalhans
#तेवरी
#तेवरी
*प्रणय*
जाने कैसे आँख की,
जाने कैसे आँख की,
sushil sarna
"अनपढ़ी किताब सा है जीवन ,
Neeraj kumar Soni
वक्त का क्या है
वक्त का क्या है
Surinder blackpen
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
तुम्हीं सुनोगी कोई सुनता नहीं है
तुम्हीं सुनोगी कोई सुनता नहीं है
DrLakshman Jha Parimal
गली अनजान हो लेकिन...
गली अनजान हो लेकिन...
आकाश महेशपुरी
.......…राखी का पर्व.......
.......…राखी का पर्व.......
Mohan Tiwari
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
हज़ल
हज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
Shyam Sundar Subramanian
वक्त मिले तो पढ़ लेना
वक्त मिले तो पढ़ लेना
Sudhir srivastava
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अवकाशार्थ आवेदन पत्र
अवकाशार्थ आवेदन पत्र
Otho Pat
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
कवि दीपक बवेजा
हमने तुम्हें क्या समझा था,
हमने तुम्हें क्या समझा था,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ख्वाइश
ख्वाइश
Deepali Kalra
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
Loading...