रिश्तों की गहराई लिख – संदीप ठाकुर
रिश्तों की गहराई लिख
हर काग़ज़ पर खाई लिख
उस पे ही इल्ज़ाम न धर
ख़ुद को भी हरजाई लिख
मुँह मत फेर हक़ीक़त से
शे’रों में सच्चाई लिख
क़िस्सा झूट लगेगा सब
मत इतनी अच्छाई लिख
बालिश्तों से नाप ज़रा
सायों की लम्बाई लिख
आ जा शब के माथे पर
आज न तू तन्हाई लिख
चाहत के अफ़्साने का
उनवाँ ही रुस्वाई लिख
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur