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23 Aug 2023 · 1 min read

रिश्तो की कच्ची डोर

रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्ते बड़े मतलबी हो गए है
मिठाई का दाम देखकर
इन्सान की मिठास नापी जाती है।

रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बड़ी कच्ची हो गई है…..

इन बदलते रिश्तों में
दूरी की अहमियत हो गई है
जिसे कभी हंसी-मजाक में
यू ही टाल दिया जाता था
अब उसकी भी अपनी
एक वजह हो गई है।

रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बडी कच्ची हो गई है….

राखी के धागों से भी कच्ची
रिश्तो की डोर हो गई है
भाई बहन में भी अब अहम्
की बात रह गई है
बहन को भी अब राखियो से
नफरत सी हो गई है।

रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बड़ी कच्ची हो गई है…..

हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी
मौलिक रचना

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