रिश्तो की कच्ची डोर
रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्ते बड़े मतलबी हो गए है
मिठाई का दाम देखकर
इन्सान की मिठास नापी जाती है।
रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बड़ी कच्ची हो गई है…..
इन बदलते रिश्तों में
दूरी की अहमियत हो गई है
जिसे कभी हंसी-मजाक में
यू ही टाल दिया जाता था
अब उसकी भी अपनी
एक वजह हो गई है।
रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बडी कच्ची हो गई है….
राखी के धागों से भी कच्ची
रिश्तो की डोर हो गई है
भाई बहन में भी अब अहम्
की बात रह गई है
बहन को भी अब राखियो से
नफरत सी हो गई है।
रिश्तो की बात ना करो जनाब
रिश्तो की डोर बड़ी कच्ची हो गई है…..
हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी
मौलिक रचना