– रिश्तों में बढ रही दरिंदगी से भारतीय सभ्यता ,संस्कृति व संस्कारो का ह्रास हो रहा है –
-रिश्तों में बढ रही दरिंदगी से भारतीय सभ्यता ,संस्कृति व संस्कारो का ह्रास हो रहा है –
भारतीय सभ्यता व संस्कृति में जहा नारियों , बालिकाओ को देवी तुल्य स्थान दिया जाता है, उनकी पूजा की जाती है ,
नवरात्रि में उनकी पूजा अर्चना का हिन्दू धर्म मे विधान है,
नारियों को सृष्टि में मनुष्य के रचनाकार की संज्ञा दी जाती है ,मनुष्य शिशु के रूप में नारी के गर्भ से जन्म लेता है इस प्रकार पुरूष की सृजनकर्ता होती है नारी ,
पुरातन समय में नारियो का बहुत आदर सम्मान होता था ,
नारिया (महिलाएं)पढ़ लिखकर विदूषक थी,
उदाहरण के तौर पर गार्गी , मैत्री , आदि भी कई महिलाएं थी ,नारियों के सम्मान में संस्कृत में एक श्लोक भी प्रसिद्ध है ,
यंत्र नार्यन्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता ,
अर्थात जहा नारियों की पूजा होती है वहा देवता निवास करते है,
पुराने समय में नारी को सम्मानीय स्थान प्राप्त था,
नारी माँ ,बहन , पत्नी, पुत्री होती थी ,
दूर के रिश्ते की भी मर्यादा थी,
भारतीय सभ्यता व संस्कृति व भरत गहलोत के विचार यह कहते है कि बडा भाई पिता तुल्य व बड़ी बहन व भाभी माततुल्या होती है उनका उचित सम्मान करना चाहिए ,
किंतु यह बातें आजकल किताबो व पुराणों में ही रह गई है,
वर्तमान में आए दिन विभिन्न समाचार पत्रों में ,अपहरण ,बलात्कार, रिश्तों में वेभियचारिता की खबरे अक्सर प्रकाशित होती है ,
सुनकर बहुत ही दुःख होता है कि आजकल देश की सभ्यता व संस्कृति का कितना हास हो रहा है ,
मनुष्य का नैतिक पतन तेजी से हो रहा है,
रिश्तों में वेभियचारिता व अशालीनता इतनी बढ़ रही है कि रिश्तों में ही चचेरे -ममेरे भाई-बहनों में सहवास की खबरे आती है ,
खबर यह आती है कि मामा ने भांजी का बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी,
चाचा ने भतीजी का बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी,
चचेरे भाई -बहनों ने साथ में सहवास किया लड़की गर्भवती हुई तो उसको मार दिया ,
हद तो तब होती है जब बाप बेटी व भाई -बहन के बारे में ऐसी बाते आती है,
ऐसी खबरे सुनकर घिन आती है ऐसे समाज पर जो ऐसे लोगो को आश्रय देता है,
इसका कारण क्या है कारणों का पता लगाकर ऐसा करने वालो को सख्त से सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए,
वर्तमान में आधुनिकता व फूहड़ता इतनी बढ़ गई है कि कोई किसी भी रिश्ते को महत्व देता ही नही है ,
आजकल रिश्ते महत्वहीन हो गए है ,
जो पहले जैसी लाज -लज्जा शर्म अब किसी मे रही नही है,
चारो तरफ से पाश्चात्य संस्कृति हावी हो गई है,
लोग आधुनिक दिखने के लिए प्रतिस्पर्धा में अपनी सभ्यता व संस्कृति को भूल रहे है,
भारतीय जनमानस को चाहिए की अपने बच्चों व आने वाली भावी पीढ़ी में अपने भारतीय सभ्यता व संस्कृति
के संस्कारो का विकास करे उन्हें पुरातन संस्कृति को अपनाने के लिए प्रेरित करे,
पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति के अंधानुकरण को रोके ,
तथा साथ ही संसद में बैठे हुए वे लोग जिनको जनता चुनकर भेजती है संसद में वे इस विषय को गम्भीरता से लेते हुए इस और कठोर कानून का निर्माण करने के लिए संसद में बिल पास करावे,
तभी इस देश में ऐसे अपराध रुक सकते है और भारतीय सभ्यता व संस्कृति बच सकती है ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –