रिश्ते
०१
गिरे वारि में जो कभी, एक तेल की बूँद।
कहै संधि संपर्क में,रखिए आँखें मूँद।।
०२
गिर यों पानी में कभी, मिले दूध की बूँद।
नाम दिया संबंध का, दही प्रताप फफूँद।।
०३
अपनों को परखे नही,कभी देख कर चित्र।
पडे़ जाँचना भी अगर ,जाँचे सिर्फ चरित्र।।
:- प्रताप