रिश्ते
रिश्ते जितने मजबूत होते हैं, उतने ही नाजुक भी। रिश्तो में बदले के बजाय कुर्बानी का जज़्बा होना चाहिए। रिश्तो में जब स्वार्थ और शब्दों पर ध्यान देना शुरू कर दिया जाता है तो हालात खराब हो जाते हैं। यहां लम्बे सफर के लिए सिर्फ भावनाओं को समझना ही बेहतर होगा।