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5 May 2024 · 1 min read

रिश्ता-ए–उम्मीद

रिश्ता वो बिगडा कभी,होता नही बहाल ।
करते हों मध्यस्थता, जिसमे कई दलाल ।।

तोड़ दिया हमने स्वयं, रिश्ता-ए–उम्मीद ।
करते थे जिसके लिए,दिल से हम ताकीद।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 45 Views
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