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18 Feb 2023 · 1 min read

रिवाज़ ए मोहब्बत

उनके नाम से ही कोरे पन्ने और काली स्याही रंगीन देखता हूं
क्या कहूं रिवाज़ ए मोहब्बत ज़माने में बड़े ही संगीन देखता हूं

झुकता है सारा जहां जिस चांद की इबादत ए खूबसूरती में
आपकी खूबसूरती में कायल उस चांद को भी झुकते देखता हूं

हुआ कुछ ऐसा असर उनके होने से ज़माने में की क्या कहूं
मौजूदगी में उनकी मुरझाई हुई बहारों को गुलज़ार होते देखता हूं

बहुत ही बेसब्र बेताब बेकरार हूं मैं उनकी झलक ए दीद के खातिर
निकलते हैं वो जब बाहर मैं फिज़ाओं को करवट बदलते देखता हूं

यूं तो महक जाती हैं सांसें सारी दुनिया की फूलों की बहारों में
निकलती हैं जब वो मैं खुद उनसे फूलों को महक चुराते देखता हूं

भटकती रहती है सारी दुनिया सुकूँ ए जन्नत की तलाश में दर ब दर
मगर मैं सारे जहां की जन्नत उनके पांव तले आराम करते देखता हूं

Language: Hindi
135 Views
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