***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
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रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया,
तन-मन तड़फे अगन लगे बदनिया।
मौसम आया प्रेम का,माही है प्रदेश,
जिया हो गया बावरा करता रहे क्लेश,
गेसू उलझे हैँ सुलझा जा साँवरिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।
गोरी-गोरी बाँहों में आकर समा जाओ,
नीले नैन राह ताकते अब न तड़फाओ,
दर पर बैठी कब से अकेली सजनिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।
मनसीरत माँग भरो तुम मेरी संदूर से,
भड़क रही है ज्वाला,जैसे तपे तंदूर से,
सज-धज आओ ले,जाओ दुल्हनिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया,
तन – मन तड़फे अगन लगी बदनिया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)