रिमझिम बारिश (चौपाई)
***** रिमझिम बारिश *****
(चौपाई)
***********************
रिमझिम रिमझिम बारिश आई
प्रेम वर्षण की झड़ी लगाई
आसमान में छाये बादल
काले घने घनरे बादल
धरती पर छम छम बरस रहे
नभ से हैं आँसू झलक रहे
दुखों की जो अंधेरी आई
बारिश ने है दूर भगाई
गम का जो छाया था साया
मुक्ता बूँद ने दूर भगाया
भू पर दूषित धूल जमा थी
जन मन में बुराई रमा थी
तेज हवा का आया झौंका
भागने का दिया ना मौका
अंधेरी का अंधेरा छाया
नजर न आई निज की छाया
मेघों की तीखी सी गर्जन
चेताती थी होगा वर्षण
पेड़ों की हिल रही शिखाएँ
फैल रही जैसे बाधाएँ
आसमान में बिजली चमके
दिल जैसे प्रेमी का धड़के
सुखविन्द्र मौसम है रंगीला
त्याग दो स्वभाव जहरीला
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)