*रिटायर होने के अगले दिन* (अतुकांत हास्य कविता)
रिटायर होने के अगले दिन (अतुकांत हास्य कविता)
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एक सरकारी कर्मचारी
रिटायर होने के अगले दिन ही मर गया
बेटे. बहुओं ने विलाप करते हुए कहा -यह एक दिन हमारे जीवन में कितना बड़ा तुषारापात कर गया।
पिताजी, मगर आप कल इस दुनिया से चले जाते,
तो आप मर कर भी हमारे काम तो आते ?
हम तो पिछले एक साल से आपकी वीरगति की उम्मीद लगाए थे
आपको तनिक भी खांसी, जुकाम, बुखार होता था,तो हम खुशी से खिलखिलाए थे।
यहाँ तक कि आपको डेंगू भी हुआ
फिर भी आप नहीं चल बसे,
रहे वही हट्टे-कट्टे
ठीक हुए
और फिर पहले की तरह हँसे ।
आज दिल रोता है
पिताजी को तो जिन्दगी में बेटा – हर एक खोता है
मगर याद उसे किया जाता है ,
जो परिवार के लिए शहीद होता है।
आपको तो एक दिन जाना ही था
तो फिर ऐसे जाते
कि सरकारी नौकरी पर जाते-जाते
बेटा या बहू को लगवाते
वे मृतक-आश्रित कोटे की नौकरी पाते
हर महीने जब भी सरकारी वेतन निकालकर लाते
आप को याद करते जाते।
फिर एक गलती आपने और दी
फेफड़ों में आखिरी सांस सोमवार को भरी।
अगर गुरुवार रात को मरते
तो हम रविवार तक ठाठ से शोक तो करते
पिताजी! आप ही बताऍं
हम अपना वेतन कटवाकर
प्राइवेट नौकरी में कितने दिन शोक मनाऍं ?
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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