रिटायरमेंट
युवावस्था में जिस नौकरी को मैंने संजोया था
आज उससे सेवानिवृत्त होकर मेरा हंस हंस रोया था
वो जल्दी उठना सजना सवरना अब कही छूट गया
अब कोई याद नहीं करता सब कुछ जैसे रूठ गया
सजी साडिया अलमारी में अब मुझसे वो पूछ रही
कब आयेगी बारी उनकी ये आवाज़ें गूंज रही
सजना सवरना तैयार होना अब मुझको ना भाता है
छूट गया वो सखियों से मिलना याद करके दिल भर जाता है
जिस काम को ख़ुद करते थे अब दूसरो से करवाते है
रिटायरमेंट बाद ज़िंदगी नहीं लोग भी बदल जाते है