-: राज़-ए-मुश्कान :-
तुम्हारी नजरो की कसम,
तुमपे फ़िदा हूँ मैं,
लाख करू कोशिश विसाल की,
मगर तुमसे जुदा हूँ मैं,
तुम्हारी जुल्फों की कसम,
बहुत मजबूर हूँ मैं,
जितना हूँ करीब तुम्हारे,
उतना ही दूर हूँ मैं,
तुम्हारे रुख्शारो की कसम,
तुम्हें चाहता हूँ मैं,
तुम दे गये कसम, न रोने की,
‘साहिब’ अब हर दम मुस्कराता हूँ मैं,