राह देखेंगे तेरी इख़्तिताम की हद तक, राह देखेंगे तेरी इख़्तिताम की हद तक, कभी तो सुनेगी तेरे पैग़ाम की आहट। इख़्तिताम-अंत नीलम शर्मा ✍️