राहत की सांस
बहुत पुरानी बात है एक गांव जगदलपुर में एक किसान रहता था जिसका नाम रामू था जो हमेशा किसानी के कार्यो में व्यस्त रहता था। रामू का एक बेटा था जिसका नाम राहुल था जो एक महाविद्यालय में अध्ययनरत था और महाविद्यालय की पढ़ाई के साथ अपने पिता (रामू) का किसानी के कामों में हाथ भी बटाता था। एक दिन की बात है की गांवों में रोपा लगाने का काम चल रहा था और उसी दिन रामू के दादा का निधन हो गया जिस कारण सब किसानी का काम छोड़ रामू के दादा के नहावन में लग गए जिसके कारण रामू के खेत का काम छूट गया और रामू ने अपने बेटे राहुल से कहा की बेटा तू कल रोपा का काम मजदूरों के साथ पूरा करा लेना और एक लक्ष्य दिया की इतना तेको कल रोपा का काम पूरा कराना है लेकिन काम होता ना देख राहुल परेशान हुआ तो उसके पापा ने उसका हौसला बढ़ाया जिससे राहुल का शक्ति मिली और राहुल ने काम पूरा करके ही दम लिया और फिर राहत का सांस ली।।