राष्ट्र भक्ति
कुण्डलिया
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हर मन में हो प्रज्वलित, राष्ट्र भक्ति की आग।
स्वार्थ भावना से रहित, जन जीवन बेदाग।
जन जीवन बेदाग, धर्म हित भाव गहन हो।
मातृभूमि पर कष्ट, कभी भी नहीं सहन हो।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, जोश हो हर स्पंदन में।
सबसे पहले देश, भाव यह हो हर मन में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य