राष्ट्र धर्म
राष्ट्र धर्म सर्वोपरि, लेखन या अध्यात्म
त्याग और बलिदान से, बचता देश महान
यदि है सुरक्षित संस्कृति , निज भाषा का ज्ञान
देश सनातन यदि रहा, तो ही है पहचान
छोटी सी त्रुटि भई , बने न शूल समान
अपने निजी विचार है, अपमान या अभिमान
फिर से वही न दोहराएं, कर चुके जो भूल
धर्म सदैव ध्यान रहे, जाने अपना मूल
धर्म अर्थ कर्तव्य है , इसे न समझें धर्म
दो शब्दों के फेर में , बदल जाए न मर्म