राष्ट्ररक्षक-हिन्द सेना।
“#करगिलविजयोत्सव पर समर्पित एक स्वरचित रचना”
ओ सीमा के #प्रहरियों,
बार बार तव #अभिनंदन.
तुमसे आन बान सम्मान
तुम बिन है राष्ट्र निष्प्राण।
ओ सीमा के……….
सजग राष्ट्र की संकल्पना,
सशक्त राष्ट्र की व्यंजना
कतिपय #कुतत्वों का दोहन
करते नित प्रति सीमारेखा अवलोकन।।
ओ सीमा के….
नमन तुम्हारे असंख्य #बलिदान
नमन तुम्हारे वीरोचित वंदन।
#मातुभारती को करते निज #प्राण अर्पण।
ओ सीमा के रक्षकों, बार बार तव अभिनंदन।।