राष्ट्रप्रेम
कहानी
राष्ट्रप्रेम
देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। दुकानदार लगभग हर चीज में मिलावट कर बेच रहे थे। सभी दफ्तरों में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी चल रही थी। महिलाओं और बच्चों का अपहरण आम हो गया था। लड़कियों और महिलाओं का घर से बाहर निकलना लगभग दूभर हो गया था। आम आदमी का जीना मुहाल हो गया था।
इससे तंग आकर लगभग सभी समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों ने देश के प्रधानमंत्री जी से भेंट कर स्थिति में सुधार करने के लिए निवेदन करने का निश्चय किया। हालांकि ऐसे परिवेश में प्रधानमंत्री जी से भेंट का समय ले पाना बहुत ही मुश्किल काम था। पर लगातार चार-पाँच महीने की भाग-दौड़ और कुछ नगद राशि भेंट अर्पित करने के बाद अंततः प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हे भेंट के लिए 5 मिनट का समय मिल गया।
निर्धारित तिथि और समय में सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री जी से मिला। प्रधानमंत्री जी को एक शानदार गुलदस्ता भेंट करते हुए सबने सामूहिक और अलग-अलग भी फोटो खिंचवाई।
प्रतिनिधि मंडल को स्पेशल चाय पिलाते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा, “बहुत अच्छा लग रहा है आप सबसे मिलकर। बहुत दिनों से मेरी भी इच्छा हो रही थी, आप सभी प्रबुद्ध जनों से भेंट करने की। परंतु देश की परिस्थितियाँ ही कुछ ऐसी हो गई हैं कि मेरी आप लोगों से मुलाकात नहीं हो पा रही थी। आप लोग तो देख ही रहे हैं देश के हालात। हमारे पड़ोसी देशों की हरकतें आप लोगों से भी छुपी हुई नहीं है। अब तो ये अमेरिका और रूस वाले भी आए दिन हमें छोटी-छोटी बातों पर व्यापारिक संबंध तोड़ने की धमकी देने लगे हैं। हालांकि अमेरिका और रूस हमसे कटकर खुद संकट में पड़ जाएँगे। लेकिन हमें तो सब तरफ से सोचना पड़ता है न। इधर देश में कई छोटे-छोटे राजनीतिक दल समाज को आपस में उलझाकर अपनी स्वार्थ-सिद्धि में लगे हुए हैं। हमारी खुफिया विभाग की अनेक रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि हमारे कुछ विपक्षी दल के लोगों को पड़ोसी देशों का सहयोग मिल रहा है। पड़ोसी देश के लोग हमारे देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल बनाना चाह रहे हैं। पर हम आप लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हम उन्हें उनके नापाक इरादों में कामयाब होने नहीं देंगे। भारतमाता की आन-बान और शान में हम कोई भी कमी आने नहीं देंगे। हमारी कोशिश है कि छोटे-बड़े शहरों में ही नहीं गाँव-देहात में भी भारतमाता ही नहीं स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे महान विभूतियों की विशाल प्रतिमाएँ स्थापित की जाए, जिससे कि देश की युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके। बोलो भारत माता की जय। महात्मा गांधी की जय।
सबने जयकारा लगाया।
प्रधानमंत्री जी ने दो घूँट पानी पीकर कहा, “बस आप सभी का सहयोग और आशीर्वाद हमें और हमारी पार्टी को मिलता रहे। हम सभी आपकी सेवा में तत्पर रहेंगे। आप अपने लोगों को समझाइए कि वे विरोधी दलों की अनर्गल बातों, अफवाहों और नापाक इरादों पर ध्यान न दें। आप अपना ज्ञापन हमें दे दीजिए। हम उस पर शीघ्र ही यथोचित कार्यवाही करेंगे। अच्छा, अब इजाजत दीजिए। प्रणाम।”
चाय खत्म हो चुकी थी। प्रतिनिधि मंडल ने दो पृष्ठों का ज्ञापन प्रधानमंत्री जी को सौंपा, जिसकी विधिवत फोटोग्राफी और विडियोग्राफी हुई।
प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात कक्ष से बाहर निकलते ही अंदर की गई पूरी फोटोग्राफी की सॉफ्टकॉपी मिल गई। इससे प्रतिनिधि मंडल को यह भेंट बहुत ही सार्थक लगी। अब वे इन फोटोस को अपने-अपने सोसल मीडिया पेज में बड़े शान से पोस्ट कर सकते थे। अपने ऑफिस और ड्राइंगरूम में फ्रेम करवाकर लटका सकते थे।
उधर प्रधानमंत्री जी के निज सहायक ने तुरंत कॉपी-पेस्ट करके एक घिसा-पिटा-सा लेटर तैयार कर पोस्ट करने के लिए चपरासी को दिया, जिसमें संबोधन के बाद लिखा था, “आपका पत्र मिला। आपकी जागरूक पहल के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने आपको धन्यवाद ज्ञापित किया है। पत्र में उल्लेखित समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित कार्यवाही के लिए मान. प्रधानमंत्री जी ने निर्देश दिए हैं। पुनः धन्यवाद।”
इस प्रतिनिधि मंडल का पत्र डस्टबिन के हवाले करने के बाद दूसरे प्रतिनिधि मंडल को प्रधानमंत्री जी से भेंट करने के लिए अंदर बुला लिया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़