‘राष्ट्रधर्म’ के नायक अटल बिहारी वाजपेयी
प्रस्तावना :- सदियों से लेकर आज तक तमाम भारतीयों ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बनायी है। चाहे वो व्यापार हो या विज्ञानं, कला हो या अनुसन्धान, राजनीति हो या देशभक्ति, खेल-कूद हो या मनोरंजन, कुछ ख़ास व्यक्तियों ने अपनी प्रतिभा, लगन और मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल किया जिससे उनका नाम हमेशा के लिए प्रसिद्द हो गया। अपने ‘प्रसिद्द भारतीयों’ की श्रंखला में एक नाम राजनीति के पितामह श्रद्धेय ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ जी का आता है।
जीवन परिचय :- राजनीति की प्रखर आवाज़, कुशल वक्ता, श्रेष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय चेतना के नायक कविवर श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता ‘कृष्ण बिहारी वाजपेयी’ एक अध्यापक थे के साथ ही वे महान कवि भी थे। जिसके चलते अटल बिहारी वाजपेयी को कवित्व का गुण अपने पिता से विरासत में मिला था। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर ग्वालियर से और स्नातक विक्टोरिया काॅलेज से किया जो अब लक्ष्मी बाई काॅलेज के नाम से जाना जाता है और कानपुर के डी.ए.वी. काॅलेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए. किया। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हें राजनीति का भीष्म पितामह भी कहा जाता है। सन 2009 में उन्हे दौरा पड़ा था, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता ही गया। 11 जून 2018 को उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को वे परलोक सिधार गये।
राजनैतिक सफ़र :- वाजपेयी जी ने हर भारतीय की तरह आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ जेल भी गए। जहां उनकी पहली मुलाक़ात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई जो उनके लिए राजनीतिक गुरु साबित हुए। आज़ादी के बाद वाजपेयी जी पत्रकारिता से जुड़ गए लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में अपनी पत्रकारिता छोड़कर सन् 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए और 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। पहली बार तो हार का सामना करना पड़ा लेकिन 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा सीट का चुनाव जीतकर जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में संसद पंहुचने और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद पूरे देश में जनसंघ का प्रसार किया।
जननायक की भूमिका :- गुज़रे वक़्त में राष्ट्र ने जो प्रगति की है उसे ठुकराया नहीं जा सकता और न ही इस बात से कोई इंकार कर सकता है। चुनाव के दौरान वोट मांगते हुए सरकार की नीतियों पर कठोर से कठोर प्रहार करते हुए उन्होंने इन बातों पर विमर्श किया कि आज राष्ट्र की स्थिति क्या है और हम पिछड़ क्यों गए? जो देश हमारे साथ आज़ाद हुए थे वो हमसे आगे बढ़ गए और जो हमसे बाद जन्मे थे वो हमें पीछे छोड़ गए। हमारी गिनती दुनिया के गरीब देशों में है 20 फीसदी से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं। गांव में पीने का पानी नहीं है,हम प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य नहीं कर सके और लड़कियों की शिक्षा की उपेक्षा हो रही है। देश में साधनों की कमी नहीं है अगर साधनों की कमी है तो उसे ठीक ढंग से प्राप्त किया जा सकता है साधन बढ़ाए भी जा सकते हैं। जनता पर जो टैक्स लगाया जाता है उसका लाभ जनता तक नहीं पहुंचता,आम आदमी तक नहीं पहुंचता, कहां जाता है किसकी जेब भरी जाती हैं।
राष्ट्रधर्म की भूमिका :- वाजपेयी जी के सत्ता में आने के 1 महीने बाद उनकी सरकार ने मई 1998 में राजिस्थान के पोखरम में 5 अंडरग्राउंड नूक्लियर का सफल टेस्ट करवाए। परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा, जिसकी चर्चा देश विदेश में भी जोरों पर रही। अटल जी द्वारा शुरू किये गए नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP) व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) उनके दिल के बेहद करीब थी, वे इसका काम खुद देखते थे। NHDP के द्वारा उन्होंने देश के चार मुख्य शहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई व कोकत्त्ता को जोड़ने का काम किया। PMGSY के द्वारा पुरे भारत को अच्छी सड़कें मिली, जो छोटे छोटे गांवों को भी शहर से जोड़ती। कारगिल युद्ध व आतंकवादी हमले के दौरान अटल जी द्वारा लिए गए निर्णय, उनकी लीडरशिप व कूटनीति ने सबको प्रभावित किया जिससे उनकी छवि सबके सामने उभर कर आई।
पुरस्कार और सम्मान :- देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया। सन् 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया। वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान। वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
उनकी कृतियां :- अटल जी की कृतियों में राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का अद्भुत प्रवाह है। उन्होंने राष्ट्रधर्म का पालन करते हुए “भारत जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि जीता जागता राष्ट्रपुरुष है!” जैसे हज़ारों शब्दों को अपनी कृतियों में स्थान दिया है। ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ और ‘न दैन्यं न पलायनम्’ आदि अटल जी की प्रमुख कृतियों में से हैं।