रावण रामचंद्र ने मारा (गीत)
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रावण रामचंद्र ने मारा ( दशहरा गीत )
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आज दशहरे के दिन रावण रामचंद्र ने मारा
( 1 )
आज बुराई पर अच्छाई की शुभ जीत हुई थी
परम सत्य ने नभ जैसी ऊँचाई आज छुई थी
आज हुआ विश्वास विश्व को असुर बली हारेगा
नैतिकता का वाण अनैतिकता रण में मारेगा
आज खुशी है जन-जन में यह अत्याचारी हारा
आज दशहरे के दिन रावण रामचंद्र ने मारा
( 2 )
यह त्यौहार बताता साधनहीन जीत जाते हैं
महाबली पर जीत युद्ध में नर -वानर पाते हैं
योगदान यदि मिले गिलहरी का तो पुल बन जाता
विजयी झंडा जीत स्वर्ण की लंका पर फहराता
निर्लोभी ने कहा विभीषण से सब राज्य तुम्हारा
आज दशहरे के दिन रावण रामचंद्र ने मारा
( 3 )
निपुण शस्त्र में धनशाली ज्ञानी चाहे बन जाओ
यही धर्म की सीख न पर- नारी पर नजर गड़ाओ
किया अपहरण रावण ने सीता पतिव्रता चुराई
सोने की लंका की लुटिया अपने आप डुबाई
नाम अयोध्या का यों फैला दुनिया भर में प्यारा
आज दशहरे के दिन रावण रामचंद्र ने मारा
( 4 )
दुनिया भर में लोग खेलते प्रभु की पावन लीला
सदियाँ बीतीं यश को जिनके गाता है नभ नीला
यह थे राम अयोध्या की गद्दी के जो अधिकारी
गए वनों को किंतु पिता के बनकर आज्ञाकारी
रामकथा का अर्थ त्यागमय भावों की रसधारा
आज दशहरे के दिन रावण रामचंद्र ने मारा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451