*रावण का पुतला जलता है (गीत)*
रावण का पुतला जलता है (गीत)
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हर साल दशहरे पर पुतला, रावण का जलता है
(1)
भरी भीड़ के बीच पराजित बलशाली होता है
सोने की लंका का मालिक सिंहासन खोता है
अहंकार हिमशिखरों-जैसा, ऊँचा सब गलता है ।
(2)
नारी को जो चुरा रहा यह उससे हुई लड़ाई
लड़ा अनैतिकता से यह ताकत जटायु में आई
मिलता है उपहास उसे जो, गलत राह चलता है
(3)
धन वैभव ऐश्वर्य काम, रावण के तनिक न आया
क्षण में गयी समूची सत्ता, हुई तिरोहित माया
बुरी सोच का बुरा नतीजा, जीवन में फलता है
हर साल दशहरे पर पुतला, रावण का जलता है
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.) मोबाइल 9997615451