राम
नारद की वीणा मे राम हैँ,
भक्तन की पीड़ा मे राम हैँ //
बच्चे की किलकारी मे राम हैँ,
बूढ़े की लाठिन मे राम हैँ //
तरुवर की छाया मे राम हैँ,
कविवर की कविता मे राम हैँ //
सूर्य की गर्मी मे राम हैँ,
मेघो की शीतलता मे राम हैँ //
संतन की शक्ति मे राम हैँ,
हनुमत की भक्ति मे राम हैँ //
मेरी तो यादो मे राम हैँ,
शबिरी के बेरो मे राम हैँ //
~श्रेयस सारीवान