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24 Jan 2024 · 1 min read

राम

नारद की वीणा मे राम हैँ,
भक्तन की पीड़ा मे राम हैँ //

बच्चे की किलकारी मे राम हैँ,
बूढ़े की लाठिन मे राम हैँ //

तरुवर की छाया मे राम हैँ,
कविवर की कविता मे राम हैँ //

सूर्य की गर्मी मे राम हैँ,
मेघो की शीतलता मे राम हैँ //

संतन की शक्ति मे राम हैँ,
हनुमत की भक्ति मे राम हैँ //

मेरी तो यादो मे राम हैँ,
शबिरी के बेरो मे राम हैँ //

~श्रेयस सारीवान

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