राम
वन-वन में भटक रहे सभ्यता को तारने,
राम कैसे मचल रहे अज्ञानता को मारने।
देख कारनामे,स्वयं काल भी भयभीत हो,
सबकुछ जीता था,अपने भाग्य को हारने।।
वन-वन में भटक रहे सभ्यता को तारने,
राम कैसे मचल रहे अज्ञानता को मारने।
देख कारनामे,स्वयं काल भी भयभीत हो,
सबकुछ जीता था,अपने भाग्य को हारने।।