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12 Nov 2020 · 1 min read

राम लक्ष्मण से

राम लक्ष्मण से
सुग्रीव के प्रति
कलाधर घनाक्षरी
वायदा सुकंठ भूल,राज काज,साज लीन,
चार माह बीतने हुए नहीं पता चला।

लाभ हानि सोच मीत प्रीत जो करे सदैव,
भूल मित्र काम छांट पाय न कभी भला।

वारि हीन मीन दीन सा रहा बचात प्रान,
मार शत्रु को दिया, विलास भाव में ढला।

ज्ञान से सचेत मित्र को करें जगायँ भाव,
नांहि तो बुझे सनेह दीप जो कभी जला।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर

2 Likes · 1 Comment · 304 Views
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