राम भजन
चाहतें हो विश्व में चमकता जो भाल रहे।
भाल पे कलंक का न कोई भी सवाल रहे।
सवाल उठ गया तो गयी आन-बान शान है।
शान पे निछावर प्राण करे इंसान है।
इंसान सोचकर शुभ काम कर लीजिये।
राम का है देश राम राम कर लीजिये।
मन से तू त्याग छल दम्भ द्वेष स्वार्थ को।
स्वार्थ के बिना ही कर तू परमार्थ को।
परमार्थ से ही बने विश्व पहचान फिर
पहचान ऐसी जग जाने पुरुषार्थ को।
पुरुषार्थ से अमर निज नाम कर लीजिये।
राम का है देश राम राम कर लीजिये।
कुकर्म जो करे तो छीट पड़े अभिशाप की।
अभिशाप से ही बढ़ जाये जड़ पाप की।
पाप ही मनुष्य के विनाश की वजह है
वजह यही लाये जल्द मृत्यु फिर आपकी।
आप इन कुकर्म पे विराम कर लीजिये।
राम का है देश राम राम कर लीजिये।
आपके लिए है यदि सब कुछ धन रे।
धन किस काम का तू करले मनन रे।
मनन करे तो मिल जायेगा जतन रे।
जतन यही की कर राम का भजन रे।
भजन राम का है सुबह शाम कर लीजिये।
राम का है देश राम राम कर लीजिये।
अभिनव मिश्र अदम्य