राम बनो, साकार बनो
अंधेरा है! जला दो दीप तुम उत्साह भर दो।
अगर हो सूर्य के वंशज तो आभावान कर दो।।
दिवाली राम गाथा है, स्वागत सूर्य वीरकुल का है।
है गाथा हनु विभीषण और अंगद नील नल का है।।
जलाए राम रघुवंशी दीपक, अयोध्या से श्रीलंका तक।
प्रकाशित कर दिया सबको,घने जंगल से महलों तक।।
अवध वीरों के स्वागत में, सदा दीपक जलाता है।
जब योद्धा राम जैसा हो, तो दीपोत्सव कहाता है।।