निर्णय
निर्णय
सौ ताने सुन सहमती, माँ मेरी मजबूर ।
पहली भी बेटी हुई, उसका यही कसूर ।
माँ को लेकर चल पड़े, मन बेटे की आस।
भ्रूण परीक्षण के लिए, पहुंचे डॉक्टर पास।
लगा रखे पोस्टर बड़े, कानूनन अपराध ।
लिंग परीक्षण कर रहे, वही यहां निर्बाध।
प्राणदान जिनसे मिले, रोगी को विश्वास ।
शपथ यहां वह तोड़ते, हैं डॉक्टर जी आज ।
सहम गई मैं गर्भ में, सुन अपनों की बात।
मां को सब समझा रहे, करें गर्भ का पात।
भीत बड़ी व्याकुल बहुत, मां थी निश्चल मौन ।
माता और संतान का, नाता समझे कौन ।
बेटी मेरी लाड़ली, मेरे मन की प्रीत,
कैसे इसे नकार दूं, स्वार्थपूर्ण यह रीति।
मेघ बरसता सब जगह, करता नहीं विभेद।
माता क्यों करके करें, संतानों में भेद ।
बेटा यदि कुलदीप है, बेटी भी है ज्योति ।
नहीं सुनूं मैं और की, ठुकराऊं यह नीति ।
माता तो माता सदा, है ममता की मूर्ति,
नहीं अन्य के संग मिल, करूं स्वार्थ की पूर्ति ।
कहते बेटी खर्च है,देना पड़े दहेज।
बेटी को मरवा रहे, धन को रहे सहेज।
बेटी जा ससुराल में, नहीं आएगी काम ।
बेटे भी परदेश में,बसे न आते काम।
रही नाम की बात वह , और पिंड का दान ।
नाम बेटियां भी करें , करें पिंड भी दान।
मां ने निर्णय ले लिया, बेटी लेगी जन्म ।
नहीं बीच में आएगा, यहां कोई भी अन्य।
धन्य धन्य मां धन्य तुम, सबसे की तकरार।
बेटी के हित ठान ली, तुमने सबसे रार।।
इंदु पाराशर