राम जैसा मनोभाव
पग पग संग एक डगर चलें
बदल जाएगी ऋतु चहुंओर
सामूहिक शक्ति से निपटेंगी
जन समस्याएं भी बगैर शोर
संगठन में शक्ति है ये बतला
गए पुरखे और साधु सयाने
भूले तब से हम सब गा रहे
बेबसी औ लाचारी के तराने
राम, कृष्ण के देश में दिखता
आज हर तरफ अजब माहौल
कुछ संगठित लोग ही सरेआम
उड़ा रहे मानवता का मखौल
हे ईश्वर मेरे देश के लोगों को
दीजिए राम जैसा मनोभाव
सब जीवों को संगठित कर
बदल दे वो नियति के दांव