राम जी के नाम लीं
भोजपुरी गजल
बा समय बाउर अगर तऽ, धैर्य से अब काम लीं।
कर्म निज कइले करीं, अरु राम जी के नाम लीं।
आदमी यदि लड़खड़ाते, मिल गइल हऽ राह में,
फर्ज मानवता कहेला, हाथ ओकर थाम लीं।
दीन दुखियन के सहारा, बनि गइल सौभाग्य हऽ,
डाल दीं दरिया में’ नेकी, भूल से मत दाम लीं।
यार जब संकट रहल तऽ, साथ जे दिहले रहे,
अब समय यदि ठीक बा तऽ, यार ओकर नाम लीं।
रौशनी में खूब होला, डी विटामिन मुफ्त के,
जब समय होखे कबो तऽ, यार छत पर घाम लीं।
जे हवे सज्जन सजनता, छोड़ ना पायी कबो,
पेड़ पर ढेला चलवनी, यार जा के आम लीं।
चाय नाश्ता और भोजन , सब बनवनीं प्यार से,
देह गर थाकल हवे तऽ ‘सूर्य’ जा के जाम लीं।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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