राम की राजनीति
राजनीति के राम को, मिला बाण का संग I
ऊँची सोच से पहले, दोनों ही थे तंग II
दोनों ही थे तंग, बड़े पद की थी चाहत I
जनता के दांव से, दोनों हुए थे आहत II
कहें विजय कविराय, राज की तंग नीति I
राम के आदर्श भूल, हो राम की राजनीति II
राजनीति के राम को, मिला बाण का संग I
ऊँची सोच से पहले, दोनों ही थे तंग II
दोनों ही थे तंग, बड़े पद की थी चाहत I
जनता के दांव से, दोनों हुए थे आहत II
कहें विजय कविराय, राज की तंग नीति I
राम के आदर्श भूल, हो राम की राजनीति II