रामायण भाग-1
आओ सुनाते है तुमको रामायण।
जाने क्यों कैसे हुई किस कारण।।
दशरथ नन्दन श्री राम को जाने।
शायद तब हमसब मोक्ष है पाये।।
अयोद्धया है श्री राम जन्मस्थली।
ये है राजा दशरथ की धर्मस्थली।।
आयोध्या में थे एक राजा दशरथ।
हर पल थे वह ईश्वर को सुमिरत।।
हर तरफ ही था यश दशरथ का।
हृदय था बिल्कुल दर्पण उनका।।
राजा दशरथ जो नंदन कह लाते।
धर्म कार्य वो अक्सर ही करवाते।।
प्रसन्न थी संपूर्ण अयोध्या नगरी।
अब आती महारानियों की बारी।।
धर्म पत्नियां हुई थी तीन उनके।
अतिशय प्रेम था सब का उनमें।।
नाम कैकयी, सुमित्रा, कौशल्या।
इनका दशरथ संग हुआ विवाह।।
सर्वप्रथम में थी कौशल्या पायी।
बाद कैकेयी, सुमित्रा थी आयी।।
दशरथ को थी यह चितां आयी।
पुत्र की लालसा हृदय में जागी।।
मिलने आये वह गुरु वशिष्ठजी से।
कह दी लालसा ये मन की उन से।।
मुनि वशिष्ठजी ने धर्मकांड कराये।
जिसके ख़ातिर अग्निदेवजी आये।।
अग्निदेव जी हविष्यान्न को दे कर ।
चले थे दशरथ को अब समझाकर ।।
आधा था कुल का कौशल्या को।
आधे में आधा मिला कैकेयी को।।
शेष बचा जो वो मिला सुमित्रा को।
ऐसे ही पायस बांटा था तीनों को।।
राम जी कौशल्याजी के कहलाये।
कैकेयी के हिस्से भरत जी आये।।
सुमित्राजी को दो थे पुत्र रत्न मिले।
लक्ष्मण,शत्रुघ्न जैसे थे पुष्प खिले।।
बतलाता हूं दशरथ पुत्रों के नाम।
ज्येष्ठ है सब मे भगवान श्री राम।।
संग चले है सदा ही लक्ष्मन भाई।
लो आती है भ्राता भरत की बारी।।
अनुज हुए सब ही मे शत्रुघ्न जी।
बोली भाषा थी उनकी वेदों सी।।
क्रमश:…
ताज मोहम्मद
लखनऊ