रामायण आ रामचरित मानस मे मतभिन्नता -खीर वितरण
राजा दशरथ के रानी सभ के गर्म धारण के लेल खीर वितरण के संबंध मे रामायण आ रामचरित मानस मे मतभिन्नता हैय।
बाल्मीकि रामायण के अनुसार।
कौशल्यायै नरपति:पायसार्धं ददौ तदा।
अर्धादर्धं ददौ चापि सुमित्रायै नराधिप:।।२७ ।।
ऐसा कहकर नरेश ने उस समय उस खीर का आधा भाग महरानी कौशल्या को दे दिया। फिर बचे हुए आधे का आधा भाग रानी सुमित्रा को अर्पण किया।
कैकेय्ये चावशिष्टार्धं ददौ पुत्रार्थकारणात।
प्रददौ चावशिष्टार्धं पायसस्यमृतोपमम्।।२८।।
अनुचिन्त्य सुमित्रायै पुनरेव महामति:।
एवं तासां ददौ राजा भार्याणां पायसं पृथक्।।२९।।
उन दोनों को देने के बाद जितनी खीर बची रही,उसका आधा भाग तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से कैकेई को दे दिया। तत्पश्चात उस खीर का जो अवशिष्ट आधा भाग था,उस अमृतोपम भाग को महाबुद्धिमान नरेश ने कुछ सोच बिचारकर पुनः सुमित्रा को ही अर्पित कर दिया।इस प्रकार राजा ने अपनी सभी रानियों को अलग अलग खीर
बांट दी।
समझे के लेल –
खीर=१६आना(१रु)
कौशल्या- ८ आना
सुमित्रा -४ आना+२ आना=६आना
कैकेई-२ आना
कुल-१६आना
रामचरित मानस के अनुसार –
तबहिं रायं प्रिय नारी बोलाईं। कौशल्यादि तहां चलि आईं।
अर्द्ध भाग कौशल्यहि दींहा।उभय भाग आधे कर कींहा।
उसी समय राजा ने अपनी प्यारी पत्नियों को बुलाया। कौशल्या आदि सब रानियां वंहा चली आई। राजा ने पायस का आधा भाग कौशल्या को दिया और शेष आधे को दो भाग किये।
कैकेई कहं नृप सो दयऊ।रह्यो सो उभय भाग पुनि भयऊ
कौशल्या कैकेई हाथ धरि।दींह सुमित्रिहि मन प्रसन्न करि।
वह उनमें से एक भाग राजा ने कैकैयी को दिया
शेष जो बच रहा उसके फिर दो भाग हुए और राजा ने उनको कौशल्या ओर कैकेई के हाथ पर रखकर अर्थात उनकी अनुमति लेकर और इस प्रकार उनका मन प्रसन्न करके सुमित्रा को दिया।
समझे के लेल –
खीर -१६आना(१रु)
कौशल्या -८आना
कैकेई -४आना
सुमित्रा -२ आना+२आना=४ आना।
कुल-१६आना।
सभ रानी अपन अपन खीर के खैलन आ गर्भधारण कैलन।बाद मे कौशल्या राम के, कैकेई भरत के आ सुमित्रा लक्ष्मण आ शत्रुधन के जनम देलक।
अइ प्रकार खीर बांटे के प्रक्रिया मे रामायण आ रामचरित मानस मे मतभिन्नता हैय।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।