*रामलीलाऍं (गीत)*
रामलीलाऍं (गीत)
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भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाऍं
(1)
यहीं मंच पर दीख रहे श्री राम धनुर्धारी हैं
माता और पिता के प्रति नतमस्तक आभारी हैं
आज्ञा से वन गए पिता की, यह इनकी शिक्षाऍं
(2)
यहीं साधु का वेश धरा कपटी रावण हम पाते
यहीं स्वर्ण की लंका को दिखते हनुमान जलाते
रामसेतु की रचना की दिखती अद्भुत गाथाऍं
(3)
जीती लंका लोभ-वृत्ति पर नहीं राम में आई
देवलोक से बढ़कर जननी-जन्मभूमि बतलाई
युगों युगों तक राम-चरित से, सदा प्रेरणा पाऍं
भारत की संस्कृति की वाहक सुगढ़ रामलीलाऍं
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451