” रामराज्य की पुनर्स्थापना”
फैली चंहू ओर आज ये अराजकता क्यूं
हर कोई धनार्जन की होड़ मे व्यस्त क्यूं है
भाई ही बना भाई की जान का दुश्मन क्यूं है
पुरुष बना स्री की इस्मिता का भक्षक क्यूं है
एक समय था पितृ वचन की लाज बचाने, श्री राम चले गए थे वन को
आज पुत्र द्वारा निष्कासित हो ,घर से जाते है मात-पिता वृद्धाश्रम को
पतिव्रता का धर त्यागा सीता ने राजमहल को
आज की भार्या ऐसे हालात में, तज जाती है अपने ही वर को
भरत तुल्य भार्ता कहां आज दिखाई देते है
सम्पति की खातिर यहाँ अब, भाई ही भाई का कत्ल कर देते हैं
चंहू और व्याप्त इस अराजाता का, अंत हमें अब करना होगा
मिलजुल कर प्रेम-भाव का पुनः संचार अब करना होगा
संयुक्त संकल्प ले आज हम सब ,पुन: राम राज्य स्थापित करना होगा
डॉ. कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)