*रामपुर में विवाह के अवसर पर सेहरा गीतों की परंपरा*
रामपुर में विवाह के अवसर पर सेहरा गीतों की परंपरा
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लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा, (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451
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1) रेशमी रुमाल पर विवाह गीत (सेहरा) दिनांक 6-3-61
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रामपुर (उत्तर प्रदेश) में हमारी सुधा बुआ के विवाह दिनांक 6 – 3 – 61 में रेशमी रुमाल पर विवाह गीत (सेहरा) छपा था
आजकल विवाह के अवसर पर कान-फोड़ू संगीत बजता रहता है , लेकिन एक जमाना था जब विवाह समारोह काव्यात्मकता से ओतप्रोत होता था । जीवन में सुमधुर काव्य की छटा चारों ओर बिखरी रहती थी ।
जन-सामान्य काव्य प्रेमी था और विवाह में जब तक एक सेहरा न हो ,समारोह अधूरा ही लगता था । क्या धनी और क्या निर्धन ! सभी के विवाह में कोई न कोई कवि पधार कर विवाह गीत (सेहरा) अवश्य प्रस्तुत करते थे। आमतौर पर स्थानीय कवि इस कार्य का दायित्व सँभालते थे । जनता उन्हें रुचिपूर्वक सुनती थी तथा घरवाले अत्यंत आग्रह और सम्मान के साथ उनसे मंगल गीत लिखवाते थे ,छपवाते थे और बरातियों तथा घरातियों में उस गीत को वितरित किया जाता था।
आमतौर पर तो यह कार्य कागज पर छपाई के साथ पूरा हो जाता था, लेकिन जब 1961 में हमारी सुधा बुआ का विवाह हुआ ,तब वर पक्ष ने जो मंगल गीत छपवाया , वह पीले रंग के खूबसूरत रेशमी रुमाल पर छपा हुआ था । क्या कहने ! जितना सुंदर गीत था , उतनी ही सुंदर रेशमी रुमाल की भेंट थी। शायद ही किसी विवाह समारोह में इस प्रकार रुमाल की भेंट दी गई होगी। रेशमी रुमाल पर छपा हुआ सेहरा गीत है।
रेशमी रुमाल पर सुंदर छपाई के साथ विवाह गीत इन शब्दों में आरंभ होता है :-
श्री प्रमोद कुमार एवं कुमारी सुधा रानी के प्रणय सूत्र बंधन पर्व पर
विवाह गीत (सेहरे) पर विवाह की तिथि दिनांक 6 – 3 – 61 अंकित है ।
विवाह गीत सेहरा इस प्रकार है:-
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प्रीति – पर्व के बंधन ऐसे प्यारे लगते हैं
जैसे नील गगन के चाँद सितारे लगते हैं
जीवन की सुख – सुधा
गीत का पहला – पहला छंद है
इन छंदों में प्रिय प्रमोद के
अंतस का आनंद है
लहरों को बाँहों में भर कर
सब कुछ संभव हो गया
एक सूत्र में बँधते कूल कगारे लगते हैं
जैसे नील गगन के चाँद सितारे लगते हैं
झूम – झूम कर बहता चलता
शीतल मंद समीर है
नेह-दान के लिए हो रहा
कितना हृदय अधीर है
यौवन की बगिया में जैसे
आया मदिर बसंत है
मन की कलियों पर अलि पंख पसारे लगते हैं
जैसे नील गगन के चाँद सितारे लगते हैं
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विवाह गीत पर अंत में शुभेच्छु महेंद्र ,सहारनपुर लिखा हुआ है।
प्रिंटिंग प्रेस का नाम राघवेंद्र प्रेस ,बहराइच अंकित है
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2) सुप्रसिद्ध कवि डॉक्टर उर्मिलेश द्वारा लिखित सेहरा (विवाह गीत) दिनांक 13-7-83
सुप्रसिद्ध हिंदी कवि स्वर्गीय डॉक्टर उर्मिलेश ने मेरे विवाह के अवसर पर एक सुंदर विवाह गीत जिसे सेहरा कहते हैं ,लिख कर भेजा था और उसे कन्या पक्ष की ओर से मेरे ससुर जी श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त जी के द्वारा प्रकाशित किया गया था । पाँच छंदों में लिखा गया यह लंबा गीत था । प्रत्येक छंद में 6 – 6 पंक्तियाँ थीं। गीत का आरंभ इन सुंदर पंक्तियों से हो रहा था :-
मन के भोजपत्र पर लिखकर ढाई अक्षर प्यार के
जीवन – पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
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( 1 )
नर -नारी का मिलन सृष्टि के संविधान का मूल है
यह समाज समुदाय राष्ट्र की उन्नति के
अनुकूल है
हर आश्रम से श्रेष्ठ गृहस्थाश्रम है कहते शास्त्र हैं
अन्य आश्रम तो जीवन से रहे पलायन मात्र हैं
इस आश्रम में ही मिलते हैं पुण्य सृष्टि- विस्तार के
जीवन पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
( 2 )
रवि – मंजुल के मन – पृष्ठों को नई जिल्द में बाँधकर
यह क्षण एक किताब बन गए “मिलन” शीर्षक साधकर
दिनकर की “उर्वशी” नाचती “कामायनी” प्रसाद की
“प्रियप्रवास” की राधा पहने पायल नव-उन्माद की
“साकेत” की उर्मिला गाती गीत आज श्रंगार के
जीवन – पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
( 3 )
यह रिश्ता “महेंद्र” का ऐसा “श्रीयुत रामप्रकाश” से
जैसे धरा मिली हो अपने आरक्षित आकाश से
इस रिश्ते के संपादन से हुआ स्वप्न साकार है
“सहकारी युग” के प्रष्ठों का शब्द – शब्द बलिहार है
इस रिश्ते से भाग्य जग उठे हैं “राजेंद्र कुमार” के
जीवन पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
( 4 )
शब्दों के गमले में सुरभित थी जो अर्थों की कली
आज आपके घर जाएगी वह निर्धन की लाडली
होठों पर मुस्कान आँख में भर – भर आता नीर है
मन की बगिया में सुधियों का कैसा बहा समीर है
कन्या – धन से बड़े नहीं है मूल्य किसी सत्कार के
जीवन – पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
( 5 )
नई डगर के नए साथियों गति का सतत विकास हो
संदेहों के अंधकार में ज्योतित दृढ़ विश्वास हो
जब तक मानस के दोहों से जुड़ी रहें चौपाइयाँ
तब तक रवि प्रकाश – मंजुल की अलग न हों परछाइयाँ
पात – पात आशीष दे रहे मन की वंदनवार के
जीवन – पथ पर आज चले हैं दो राही संसार के
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डॉक्टर उर्मिलेश जी की अनुपस्थिति में विवाह के अवसर पर जयमाल के समय इसे हिंदी के स्थानीय प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ छोटे लाल शर्मा नागेंद्र ने बारातियों के सामने पढ़कर सुनाया था । गीत मधुर था और भाषा सरल थी । हृदय में बस गया और बस गए डॉक्टर उर्मिलेश । अब उनसे एक आत्मीय रिश्ता बन चुका था ।
3) डॉ. चंद्र प्रकाश सक्सेना कुमुद द्वारा लिखित सेहरा (विवाह गीत)
मेरे विवाह के अवसर पर 13 जुलाई 1983 को चंद्र प्रकाश जी ने भी एक मंगल गीत (सेहरा) लिखा था और उसे समारोह में पढ़कर सुनाया था । गीत की भाषा संस्कृत निष्ठ है ,सरल है, सबकी समझ में आने वाली है । शब्दों का चयन अत्यंत सुंदर तथा लय मधुर है । यह एक व्यक्तिगत और पारिवारिक स्मृति तो है ही ,साथ ही चंद्र प्रकाश जी के काव्य कला कौशल का एक बेहतरीन नमूना भी कहा जा सकता है ।
विवाह गीत( सेहरा ) इस प्रकार है :-
विवाह गीत(सेहरा)
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आज दिशाएँ मृदु मुस्कानों की विभूति ले मचल रही हैं
विश्व पुलक से दीप्त रश्मियाँ पद्मकोश पर बिछल रही हैं
या फिर युगल “राम “ की उजली “माया” ने नवलोक बसाया
हर्षित मन सुरबालाओं ने हेम – कुंभ ले रस बरसाया
सहज रूप से अंतरिक्ष ने धरती का सिंगार किया है
तन्मय उर “महेंद्र” ने मानों अपना सब कुछ वार दिया है
मन की निधियों के द्वारे पर अभिलाषा को भाव मिले हैं
मधुर कामना की वीणा को अनगिनत स्वर मधु – राग मिले हैं
” रवि ” – किरणों के संस्पर्श से विलसित ” मंजुल ” मानस शतदल
राग गंध मधु से बेसुध हो ,नृत्य मग्न हैं भौंरों के दल
जगती की कोमल पलकों पर ,विचर रहे जो मादक सपने
“मंजुल-रवि” की रूप -विभा में ,आँक रहे अनुपम सुख अपने
सुमनों के मिस विहँस रहा है ,सुषमा से पूरित जग-कानन
मत्त पंछियों के कलरव-सा ,मुखरित आशा का स्वर पावन
साधों के मधु – गीत अधर पर ,सरस कल्पना पुलकित मन में
मन से मन का मिलन अमर हो ,मलय बयार बहे जीवन में
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4) प्रसिद्ध कवि डॉ माधव मधुकर द्वारा लिखित सेहरा कविता
एक सेहरा – कविता गोरखपुर निवासी प्रसिद्ध कवि श्री माधव मधुकर की भी प्रकाशित हुई थी । कविता इस प्रकार है :-
यह पनपती जिंदगी भरपूर हो
यह सँवरती जिंदगी मशहूर हो
साध्य ही “रवि प्रकाश” के माथे का तिलक हो
सिद्धि ही “मंजुल” की माँग का सिंदूर हो
जहाँ भी यह रहें इनकी सदा सरसब्ज बगिया हो
महकता भाल का चंदन ,दमकती भाल बिंदिया हो
इन्हें भगवान सुख औ’ शांति का सच्चा असर दे दे
मैं कवि हूँ मेरी कविता की इन्हें सारी उमर दे दे
माधव मधुकर ,18 चंद्रलोक लॉज ,गोरखपुर
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5) 19 फरवरी 2019 रोहित एवं सौम्या के शुभ विवाह पर सेहरा
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मेरे भतीजे श्री संजय अग्रवाल तथा उनकी पत्नी श्रीमती शिखा अग्रवाल ने बहुत सुंदर और सराहनीय निर्णय लेकर अपने सुपुत्र आयुष्मान रोहित का शुभ विवाह 19 फरवरी 2019 को प्रातः 10 बजे शांतिकुंज हरिद्वार में करने का निर्णय लिया । अहा ! कितना सुंदर और पवित्र वातावरण शांतिकुंज हरिद्वार में विवाह संस्कार के आयोजन का रहा । शांतिकुंज परिसर में विशाल भवनों के मध्य प्राकृतिक सौंदर्य से भरे हुए हरिद्वार के पावन स्थल में विवाह की शोभा देखते ही बनती थी। पहली बार इतने दिव्य आयोजन का आनंद प्राप्त हुआ।
🌹🌹🌹आयुष्मान रोहित 🌹🌹🌹
(सुपुत्र श्रीमती शिखा अग्रवाल एवं श्री संजय अग्रवाल ,रामपुर उत्तर प्रदेश )
एवं
🌹🌹🌹आयुष्मती सौम्या 🌹🌹🌹(सुपुत्री श्रीमती स्नेहलता खंडेलवाल एवं श्री अनूप खंडेलवाल )
के
💐शुभ विवाह 💐
💐💐💐💐💐
के
सुअवसर पर
🌸 मंगल गीत/सेहरा🌸
विवाह स्थल : शांतिकुंज ,हरिद्वार
दिनांक : 19 फरवरी 2019
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शुभ विवाह का अनुपम साक्षी शांतिकुंज
हरिद्वार
(1)
दो हृदयों का मिलन आज है मधुमय गगन
सुहाना
गीत गा रही वायु मदभरी मौसम मधुरिम
गाना
सप्तपदी है आज अलौकिक जयमाला का
हार
शुभ विवाह का अनुपम साक्षी शांतिकुंज
हरिद्वार
(2)
यह विवाह सात्विक पथ पर अपनी संस्कृति
का गायक
यह विवाह जीवन- मूल्यों से जुड़ा हुआ सुख
दायक
इस विवाह के साथ जुड़े हैं शुभ आचार-
विचार
शुभ विवाह का अनुपम साक्षी शांतिकुंज
हरिद्वार
(3)
यह विवाह सौम्या रोहित का सदा- सदा सुख
दाता
यह मन्त्रों की तपोभूमि पर अद्भुत रची
विधाता
यह विवाह नव जीवन की नव आशा का
आधार
शुभ विवाह का अनुपम साक्षी शांतिकुंज
हरिद्वार
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शुभकामनाओं सहित ,रचयिता:-
रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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6) 💐31 जनवरी 2016 बृज बिहारी गुप्ता जी के सुपुत्र के विवाह के अवसर पर लिखा गया सेहरा* 💐*
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जनवरी 2016 में हमने अपने बचपन के मित्र रामपुर (उत्तर प्रदेश) के मूल निवासी श्री ब्रज बिहारी गुप्ता के सुपुत्र के विवाह के अवसर पर एक सेहरा लिखा था। पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है। आत्मीय संबंधों के अतिरिक्त सेहरे का साहित्यिक महत्व भी माना जाता है।
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चि. अजिर बिहारी एवं सौ० अवंतिका
के शुभ विवाह के अवसर पर मंगल गीत(सेहरा)
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शुभ विवाह का मधुर दिव्य मंगलमय दिन है आया
(1)
आज हो रहा दो हृदयों का मिलन महक भावों में
स्वर्गलोक का अनुभव, ज्यों नंदन-वन की छॉंवों में
अधरों की मुस्कान, विधाता देख-देख हर्षाया
(2)
श्री देवेन्द्र स्वरूप मध्य में हैं आशीष लुटाते
रामरूप जी देवलोक में खुशियों से भर जाते
आज बिहारी ब्रज का मन, वृंदावन हो मुस्काया
(3)
सदा पुष्प यह दो, जीवन में हॅंसें और मुस्काएँ
सदा मुदित यह रहें, गीत-संगीत मधुर यह गाऍं
रहे सदा खुशियों की इनके, जीवन में मृदु छाया
शुभ विवाह का मधुर दिव्य, मंगलमय दिन है आया
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💐 दि. 31 जनवरी 2016 💐
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रचयिता: रवि प्रकाश,बाजार सर्राफा, रामपुर(उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451
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सेवा में,
परम मित्र श्री ब्रज बिहारी गुप्ता
149-F, पाकेट-1, मयूर बिहार फेज-1 ,दिल्ली 110091
मोबाइल.9810067141, 9312281978
इक्कीसवीं शताब्दी में गिने-चुने सेहरे ही कभी-कभी किसी ने लिखे। इस तरह विवाह गीतों की परंपरा बीसवीं शताब्दी में खूब चली। कन्या पक्ष और वर पक्ष के लोग सेहरा सुनते थे। कविगण सुनाते थे। सेहरे के साथ ही विवाह समारोह का आयोजन हुआ करता था। लोगों की काव्य में रुचि थी। यह सुनहरी दौर सचमुच आह्लादकारी था।
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