*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व
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लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451
ई-मेल raviprakashsarraf@gmail.com
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1) डॉ एच. एस. सक्सेना
रामपुर में राजद्वारा चौराहे पर 1965 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के दंत विभाग से बीडीएस अर्थात बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की परीक्षा उत्तीर्ण कर के 23 वर्ष के एक नवयुवक ने अपना डेंटल क्लीनिक खोला । क्लीनिक के बोर्ड पर लिखा रहता था -डॉ. एच. एस. सक्सेना । आधी सदी तक यह डेंटल क्लीनिक रामपुर में दंत चिकित्सा का पर्याय बना रहा । नवयुवक का पूरा नाम भले ही हीरेंद्र शंकर सक्सेना था किंतु लोकप्रिय नाम डॉ एच एस सक्सेना ही रहा ।
रामपुर में सब प्रकार से पिछड़ापन था। दंत चिकित्सा की उत्कृष्ट सेवाओं का पूरी तरह अभाव था । उस समय बी.डी.एस. जिले-भर में एक भी नहीं था । डॉ. एच. एस. सक्सेना ने अपनी भरपूर शिक्षा का लाभ रामपुर वासियों को दिया। इलाज की उनकी पद्धति पूरी तरह नवीन वैज्ञानिक खोजों पर आधारित होती थी । किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज उस समय भी देश का चोटी का चिकित्सा संस्थान माना जाता था । वहां से बी.डी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करके आना सरल नहीं था । बिरले ही नवयुवक ऐसा कर पाते थे। प्रतिभाशाली डॉ. एच. एस. सक्सेना ने रामपुर को अपना कार्यक्षेत्र बनाया । रामपुर की जनता का सौभाग्य जाग उठा। अब तक इतनी उच्च डिग्री लिए हुए कोई दंत चिकित्सक रामपुर में स्थापित नहीं हुआ था।
डॉक्टर सक्सेना का व्यवहार अनुशासन से बंधा हुआ था । वह अपने काम के लिए समर्पित थे। मरीज को कभी उनसे कोई शिकायत नहीं हुई । जो परेशानी मरीज अपनी लेकर आते थे ,डॉ एच. एस. सक्सेना के क्लीनिक में उस परेशानी का हल सटीक रूप से कर दिया जाता था । कहावत की भाषा में कहें तो मरीज रोता हुआ आता था और हंसता हुआ जाता था ।
80 वर्ष से अधिक की आयु होने के कारण आप अब मुरादाबाद में सोसायटी के सुविधाजनक फ्लैट में रह रहे हैं।
2) डॉक्टर सौरभ गुप्ता
रामपुर में जन सामान्य के लिए चिकित्सा के अभाव की पूर्ति आपके द्वारा अनेक दशकों से हो रही है आपकी आयु लगभग अढ़सठ वर्ष है। एमबीबीएस करने के बाद आप रामपुर की जनता के लिए चिकित्सा कार्य हेतु समर्पित हो गए।
मिस्टन गंज के चौराहे के निकट आपके पिता डॉ. पृथ्वीराज गुप्ता अनेक वर्षों तक चिकित्सा क्षेत्र के सिरमौर रहे। उनकी मृत्यु के उपरांत इसी स्थान पर आप अपना क्लीनिक खोलकर कार्य कर रहे हैं। आपके क्लीनिक में भारी संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं तथा संतुष्ट होकर वापस जाते हैं। आपकी दवाइयां सस्ती बैठती हैं। आपके भीतर सेवाभाव है, जिसके कारण मरीज का गहरा विश्वास आपके ऊपर है। सब प्रकार के इलाज में आपको दक्षता प्राप्त है। मरीज पहली बार अपनी समस्या लेकर आपके ही पास आता है और इस प्रकार उसे इलाज की दृष्टि से सही दिशा प्राप्त हो जाती है
3) श्रीमती मीनाक्षी गुप्ता
आप ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की टीचर हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के बेसिक कोर्स आपके माध्यम से संपन्न होते हैं। रामपुर में आर्ट ऑफ लिविंग की गतिविधियों को आपने संतोष कपूर के साथ मिलकर अनंत ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। आपका जीवन आध्यात्मिकता से ओतप्रोत है। मधुर स्वभाव की धनी हैं ।आप रामपुर के सार्वजनिक जीवन में काफी सक्रिय हैं ।
4) रमेश कुमार जैन
रामपुर में आप एक मस्त फकीर के रूप में विख्यात हैं। मनमौजी स्वभाव है। इतिहास को गहरी शोध दृष्टि से देखते हुए उसका विश्लेषण करना आपका स्वभाव है। अनेक प्राचीन मंदिरों, धर्मशालाओं आदि के इतिहास को खंगालना और उसकी बारीकियों में जाकर तथ्यों का पता लगाना आपकी विशेषता है। इस दिशा में कुछ शोध पत्र आपने प्रकाशित करके रामपुर की जनता के मध्य बॉंटे भी हैं।
कविताएं लिखने का भी आपको शौक है। अतुकांत कविताएं बड़ी संख्या में आपने लिखी हैं ।आपके बहुमुखी व्यक्तित्व के प्रशंसकों में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे डॉक्टर चेन्ना रेड्डी का नाम विशेष रूप से लिया जा सकता है।
रामपुर स्थित आनंद वाटिका में आपने अनेक साहित्यिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है। रामपुर के प्रसिद्ध हिंदी कवि कल्याण कुमार जैन शशि की ‘कलम’ और ‘खराद’ पुस्तक प्रकाश में लाने का श्रेय रमेश कुमार जैन को ही जाता है। कुल मिलाकर साधुता से भरा व्यक्तित्व है। खरी बात कहते हैं, इसीलिए कई बार लोग आपको पचा नहीं पाते।
5) शैलेंद्र कुमार शर्मा
शैलेंद्र कुमार शर्मा कई दशकों से रामपुर में व्यापारी समाज के पर्याय बने हुए हैं। व्यापार मंडल का नेतृत्व करते हैं। धारदार व्यक्तित्व है। तर्कपूर्ण भाषण आपकी विशेषता है। शांत-संयत जीवन शैली का परिचय देते हुए आप तथ्यों के आधार पर अपना पक्ष हर जगह प्रस्तुत करते हैं।
व्यापारी नेता के रूप में आपकी शालीनता एक अलग ही मायने रखती है। आपका व्यक्तित्व आपकी संयमित भाषा शैली के कारण निखर उठता है। व्यापार मंडल के आंदोलनों में आप दरी पर बैठकर तथा माइक हाथ में लेकर सही दिशा देने के लिए जाने जाते हैं। अगर कुछ व्यापारीबंधु आवेश में आकर कोई गलत कदम उठाना चाहते हैं, तो आप उन्हें सही मार्ग पर ले चलने में भी संकोच नहीं करते।
नई पीढ़ी के लिए आपका व्यक्तित्व पितृतुल्य है तो आपके समवयस्क व्यापारीजन आपके सहचर्य को अपना एक सौभाग्य मानते हैं। शासन और प्रशासन के सम्मुख भी शालीनता का परिचय देना आपकी कार्यशैली है। जिले से बढ़कर आपका व्यक्तित्व प्रदेश स्तर पर भी पहचाने जाने लगा है। कुल मिलाकर व्यापारिक क्षेत्र में आप रामपुर की पहचान हैं ।
6) विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ
आप श्री राम सत्संग मंडल के अध्यक्ष हैं। आयु अस्सी वर्ष से अधिक है। मिस्टन गंज स्थित अग्रवाल धर्मशाला में दैनिक सत्संग का आयोजन लगभग एक दशक से अधिक समय से आपके नेतृत्व में चल रहा है। प्रातः काल ठीक 9:00 बजे आप सत्संग आरंभ करते हैं तथा ठीक 10:00 बजे सत्संग समाप्त हो जाता है।
आपके प्रवचन जनमानस के बीच बहुत लोकप्रिय हैं । एक विद्वान के रूप में आपकी छवि है। आप गीता के मर्मज्ञ हैं।
श्री राम सत्संग मंडल के माध्यम से आप समय-समय पर गीता और रामायण के विद्वानों को सत्संग भवन में आमंत्रित करते रहते हैं अनेक कार्यक्रम एक सप्ताह के भी होते हैं। कई भागवत-कथाएं आपने अपने नेतृत्व में आयोजित की हैं ।आध्यात्मिक क्षेत्र में ज्ञानी व्यक्तियों में आपकी गिनती होती है।
7) डॉक्टर किशोरी लाल
रामपुर में डॉक्टर किशोरी लाल को नेत्र चिकित्सा का पर्याय कहा जा सकता है। कृष्णा देवी डालमिया नेत्र चिकित्सालय की स्थापना डालमिया उद्योग समूह के द्वारा भले ही की गई है लेकिन इसको अनंत ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय केवल डॉक्टर किशोरी लाल को ही जाता है। पिछले पचास वर्ष से अधिक समय से आप नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में रामपुरवासियों की सेवा कर रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत डालमिया अस्पताल में आने के बाद आपने अस्पताल के उत्तरोत्तर विकास के लिए काम किया। आज डालमिया अस्पताल न केवल रामपुर जनपद अपितु अन्य जनपदीय क्षेत्रों के लिए भी एक प्रामाणिक नेत्र चिकित्सा का प्रमुख संस्थान बन चुका है। आपके प्रयासों से डालमिया अस्पताल में नेत्र बैंक भी खोला जा चुका है तथा इसके माध्यम से नेत्र उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है
8) सतीश भाटिया
बिना किसी संसाधनों के केवल अपनी कर्मठता के बल पर सतीश भाटिया ने जो कार्य किया है, उसे चमत्कार की ही संज्ञा दी जा सकती है। रामपुर में प्राचीन शमशान घाट को नया स्वरूप देकर उसे एक आकर्षक स्थान का रूप प्रदान करने का श्रेय आपको ही जाता है। आपके द्वारा जीवन भर दिए जाने से पहले शमशान घाट एक उदासीन स्थान का नाम था। जबकि आज यह मृत्यु को एक वास्तविक जीवन सत्य के रूप में सबको स्वीकार करने के लिए प्रेरणा दे रहा है।
गंगाजल की व्यवस्था और मृतक के गंगाजल से स्नान करने की व्यवस्था आपकी ही देन है। इसका उद्घाटन भारत रत्न नानाजी देशमुख के कर-कमलों से आपने कराया था। लावारिस शवों को अंतिम संस्कार के द्वारा सम्मानजनक श्रद्धांजलि अर्पित करना भी आपकी ही अनोखी परिकल्पना रही थी।
सबसे बड़ा काम आपने एक सौ से ज्यादा प्याऊ खोल कर किया है। इसके लिए उदारमना व्यक्तियों से चंदा लेकर एक-एक प्याऊ आप खोलते चले गए और इस तरह इतिहास बन गया। सबसे बड़ी बात यह है कि आप अपने द्वारा खोले गए प्याउओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए भी प्रयत्नशील रहते हैं। इसलिए सभी प्याऊ अच्छी स्थिति में हैं। आप शुद्ध जल पीने के लिए निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। आप में अद्भुत साहस और कर्मठता है।
9) डॉ राधेश्याम शर्मा वासंतेय
राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक थे। लेकिन अब पूरा समय अध्यात्म के लिए समर्पित है। डायमंड कॉलोनी रामपुर में आपने मॉं ललिता देवी का मंदिर बनवाया हुआ है। शक्तिपीठ की स्थापना की है। ‘शक्तिपात ध्यान’ के माध्यम से साधकों को आध्यात्मिक प्रक्रिया सिखाते हैं तथा इसी कार्य में अपने जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करने की साधना स्वयं भी करते हैं । आपकी गणना धर्मशास्त्रों के अच्छे ज्ञाता के रूप में की जाती है।
10)अलका जैन
रामपुर की सार्वजनिक जीवन में सक्रिय महिलाओं में अग्रणी नाम अलका जैन का है। आपकी आयु लगभग बासठ वर्ष है। कुछ वर्ष पूर्व आपने अपने दिवंगत पति अक्षय कुमार जैन की स्मृति में अक्षय निधि की स्थापना की और एक फिजियोथैरेपी सेंटर नगर में जैन धर्मशाला/ जैन मंदिर परिसर में स्थापित कराया। आपका उद्देश्य समाज सेवा है । इसी कार्य के लिए आपने अपने को समर्पित किया हुआ है।
वरिष्ठ नागरिकों को जीवन के उलझाव भरे दौर में जीवन शक्ति के साथ मुस्कुराते हुए कार्य करने की प्रेरणा देना आपका एक उद्देश्य है।आप समाजसेवी गतिविधियों में विभिन्न प्रकार से सक्रिय रहती हैं तथा अन्य वरिष्ठ नागरिकों को भी इसी क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा देती हैं । कोई भी समाज सेवा का कार्य हो, आप का सहयोग प्राप्त हो जाता है। जैन समाज के धार्मिक कार्यों में भी आपकी गहरी संलिप्तता रहती है।
11) मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी
1 मार्च 1947 को रामपुर में जन्मे व्यवसायी मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ।सारा शहर आपकी मिलनसार और मोहब्बत से भरी जीवन शैली का प्रशंसक है।
मोहम्मद अली जौहर अस्पताल के आप फाउंडर ट्रस्टी हैं। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के 1989 से 1991 के मध्य सदस्य रहे। कानूनी सहायता प्रदान करने के क्षेत्र में भी आपने योगदान दिया है।
सिविल लाइंस स्थित ‘जामिया तुस सुलेहात’ जो कि लड़कियों की शिक्षा का अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान है, उसके आप जनरल सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत हैं। सेवा भाव से संस्था के उत्थान के लिए समर्पित हैं। बालिका शिक्षा के क्षेत्र में आपका यह योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है।
निस्वार्थ भाव से समाज सेवा के कार्यों में आपकी एक अलग ही पहचान है। खुशमिजाज तबीयत के धनी हैं। शायद ही कभी किसी ने आपको क्रोधित होते हुए देखा होगा।
वार्तालाप के मध्य हॅंसी-मजाक के अवसर ढूॅंढ लेना आपकी विशेषता है । एक बार किसी ने आपको अपनी योग्यता बी.डी.एस. बताई और आपने तत्काल बीडीएस की फुल फॉर्म ‘बुरे दॉंत सफा’ करके वातावरण में हास्य की फुलझड़ियॉं बिखेर दीं।
राजनीति में भी आप सक्रिय रहे। दिवंगत शन्नू खॉं को 1985-90 के आसपास नगर पालिका अध्यक्ष बनाने के पीछे आपकी ही रणनीति प्रमुख थी।
धर्मनिरपेक्षता की आप जीती-जागती मिसाल हैं। सांप्रदायिकता की संकीर्णताओं से मुक्त समाज का निर्माण आपके प्रमुख जीवन उद्देश्यों में से एक है।
जीना इनायत खॉं स्थित आपका निवास पौने दो सौ साल पुराना है। लंबे-चौड़े ऑंगन से धूप-हवा का वरदान आपके निवास को प्रकृति से भरपूर प्राप्त हो रहा है। आपके एक पुत्र और छह पुत्रियॉं हैं ।पारिवारिक दायित्वों से निवृत्त हो चुके हैं।
खुशमिजाज आदत आपको सबका प्रिय बना लेती है। जिससे आपके संबंध बने, वह सदा के लिए आपके और आप उनके हो गए।
बातचीत के मध्य बताते हैं कि एक बार फोन की घंटी बजी। उठाया तो उधर से आवाज आई “मुकर्रम ! कैसे हो”
नाम के आगे न ‘जी’ लगा था, न ‘साहब’ था। यह सुनते ही मुकर्रम साहब का हृदय खुशी से भर उठा। भावुक हो गए। पता चला कि सत्तानवे वर्षीय सेवानिवृत्त जज साहब का फोन था। कहा कि “अकस्मात आपकी याद आ गई और फोन मिला लिया”।
मुकर्रम साहब भावुक होकर बताते हैं कि वार्तालाप में जो आत्मीयता बुजुर्गों से प्राप्त होती है, वह दुर्लभ है। उनका प्रेम नि:स्वार्थ होता है।
धार्मिक सद्भावना के लिए आपका कथन है कि सभी धर्मो का निचोड़ अगर देखा जाए तो कुछ अच्छी बातें हैं, जिन पर अमल करके हम सच्चे धार्मिक व्यक्ति बन सकते हैं। उदाहरण गिनाते हुए वह कहते हैं कि सच बोलना, किसी का दिल न दुखाना, सबके साथ प्रेम से व्यवहार करना, जो कष्ट में हैं उसकी मदद करना, दूसरे लोगों के सामने अपनी शक्ति का अहंकार न दिखाना आदि ऐसे गुण हैं जिन्हें जीवन में आत्मसात करके हम सच्चे हिंदू और सच्चे मुसलमान बन सकते हैं। वह कहते हैं कि व्यवहार की अच्छी बातें सब धर्मों की पुस्तकों में लिखी हुई हैं लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हम सद्भाव विकसित करने में असमर्थ रहते हैं।
हृदय रोग के कारण मुकर्रम साहब को दो बार स्टंट पड़ चुके हैं। दूसरी बार स्टंट तब पड़ा जब वर्ष 2023-24 में उन्हें चिकनगुनिया था। स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के बावजूद वह प्रसन्नचित्त रहते हैं। उनका मानना है कि शरीर रोगों का घर है। अतः रोग तो आते रहेंगे लेकिन अगर हम इस बात को समझ लें कि संसार नाशवान है तो अपनी मानसिकता को बेहतर बनाकर हम स्वयं भी भीतर से खुश रह सकते हैं और अपने चारों तरफ के वातावरण को सुंदर बना सकेंगे।
पर्यावरण की शुद्धता के प्रति भी आप बहुत सचेत हैं। आपका कहना है कि आज चारों तरफ हवा में जहर फैलता जा रहा है। कीटनाशकों के छिड़काव के कारण फल-सब्जियां सभी जहरीली होती जा रही हैं । कोई भी वस्तु शुद्ध रूप में उपलब्ध होना बहुत दुर्लभ हो गई है।
पुराने दिनों को याद करते हुए वह रामनगर ( उत्तराखंड ) में फैले हुए अपने व्यापार का स्मरण करते हैं। तब ‘दीपक माचिस’ का उनका बड़ा काम था। वहां पंडित जी की दुकान पर वह माचिस के कारोबार के सिलसिले में जाते थे। पंडित जी माचिस को ‘सलाई’ कहते थे। यह दियासलाई अर्थात माचिस का अत्यंत संक्षिप्त नामकरण था। जब रामनगर से लौटते थे तो सस्नेह भेंट के रूप में पंडित जी उनको एक या दो किलो ‘उड़द’ अवश्य देते थे। इसके पैकेट उनके पास बने बनाए रखे होते थे। यह उनके अपने खेत के होते थे। बिना रासायनिक पदार्थ के उपयोग किए हुए ही इसकी पैदावार होती थी। वह स्वाद अनूठा था।
मुकर्रम साहब का मानना है कि आज हम फिर ऑर्गेनिक खेती की तरफ लौट रहे हैं । फिर से आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा का महत्व हमारी समझ में आ रहा है। मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी साहब का यह कथन भला किसको ठीक नहीं लगेगा। हाल के दशकों में अंग्रेजी दवाइयों के साइड इफेक्ट भी बढ़े हैं और रोगों को जड़ से समाप्त कर पाने की उनकी अक्षमता भी उजागर हुई है। आज सब लोग प्राकृतिक जीवन के साथ कदम से कदम मिलाने के इच्छुक हैं । मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी भी एक ऐसी ही पवित्र इच्छा से ओतप्रोत व्यक्तित्व हैं । उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं ।
12 ) रजा मुराद
रामपुर में जन्मे रजा मुराद अखिल भारतीय ख्याति के धनी हैं। हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता हैं । आपकी आवाज का जादू लोगों पर सिर चढ़कर बोलता है। ऐसी गंभीर आवाज जिसे सुनकर कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। धमाकेदार संवाद अदायगी आपकी विशेषता है ।
रामपुर से आपका संबंध केवल इतना नहीं है कि जन्म रामपुर में हुआ । सच तो यह है कि रामपुर की मिट्टी की सुगंध आपकी साॉंसों में बसी हुई है। जब रामपुर आते हैं, तो रिक्शा में बैठकर यहॉं की गलियों और बाजारों में लोगों के पास से गुजरते हुए निकल पड़ते हैं। अपनी जन्मभूमि के निवासियों से बड़े प्रेम से मिलते हैं। कोई अपने को अति विशिष्ट या दूसरों से बड़ा समझने का अहंकार आप में बिल्कुल नहीं देखा जाता। यहॉं तक कि लोगों को महसूस ही नहीं होता कि कब सामने से रजा मुराद साहब निकल गए और उनके साथ कोई ताम-झाम नहीं था।
प्रतिभाशाली लेखक हेमंत पंत ने एक स्थान पर रजा मुराद और रामपुर के आत्मीय संबंधों का वर्णन इन शब्दों में किया है:-
” रामपुर में ही कोई पैंतालीस साल पहले फिल्म अभिनेता मुराद को फल खरीद कर रिक्शे पर बैठे घर लौटते देखा था तो एकाएक विश्वास नहीं हुआ था। उन्हें एक बार अन्नपूर्णा रेस्टोरेंट में समोसे खाते हुए भी देखा था। तब वह दुबले-से हुआ करते थे।” (मेरी पत्रकारिता के साठ वर्ष: लेखक महेंद्र प्रसाद गुप्त, प्रकाशन वर्ष 2016, पृष्ठ 164)
जिन फिल्मों में आपके संवाद होते हैं, वह रामपुर वालों की पहली पसंद बन जाती हैं । आपकी आयु सत्तर वर्ष से अधिक है किंतु रामपुर से निजी रिश्ता आप कायम रखे हुए हैं। रामपुर से आपका प्रेम जाति, धर्म और दलगत राजनीति की संकीर्णताओं से परे हैं। प्रत्येक रामपुरवासी आपका है और आप सबके हैं।
13) उस्ताद सखावत हुसैन खान
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उस्ताद सखावत हुसैन खान संगीत के क्षेत्र में प्रतिष्ठित ‘रामपुर सहसवान घराने’ के सर्वोत्तम प्रतिनिधि हैं ।आपका जन्म 1959 में हुआ। पद्मविभूषण स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान के पौत्र होने का गौरव आपको प्राप्त है।
गजल-गायन के क्षेत्र में आपकी प्रस्तुति बेजोड़ है। आकाशवाणी दिल्ली द्वारा आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष महफिल-ए- गजल में आपको एकल प्रस्तुति देने का गौरव प्राप्त है। रामपुर रजा लाइब्रेरी की 250 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आपने अपार श्रोताओं के समक्ष गजल गायन प्रस्तुत किया था और सभी का मन मोह लिया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आपको वर्ष 2017-18 के ‘बेगम अख्तर पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। 8 अप्रैल 2018 के इस सम्मान पत्र पर श्री योगी आदित्यनाथ लिखते हैं:-
” उस्ताद सखावत हुसैन खान
ठुमरी दादरा एवं गजल गायन के क्षेत्र में मलिका ए गजल बेगम अख्तर की गौरवशाली परंपरा को अपनी गायकी से समृद्ध करने के लिए आपको बेगम अख्तर पुरस्कार से अलंकृत करते हुए मुझे अपार हर्ष एवं गर्व का अनुभव हो रहा है।”
कुल मिलाकर आप सहज ही रामपुर की विभूति तथा गौरवशाली व्यक्तित्व हैं।
14) मंदीप कौर
आप हाल ही में आकाशवाणी रामपुर की कार्यक्रम प्रमुख और निदेशक पद से सेवानिवृत हुई हैं । जालंधर, बरेली, नजीबाबाद आदि आकाशवाणी केंद्रों पर भी आपने कार्य किया है।
प्रारंभ में आपका दिल्ली में प्रसारण निष्पादक का पद था। स्थानांतरित होकर रामपुर आईं। रामपुर आपकी जन्मभूमि है। प्रारंभिक शिक्षा यहीं पर टैगोर स्कूल में पाई है। आपका व्यवहार मृदु है। आकाशवाणी रामपुर में निदेशक पद पर कार्य करते हुए आपने अपने मधुर व्यवहार से न केवल अपने सहकर्मियों अपितु आकाशवाणी के कलाकारों और साहित्यकारों का भी हृदय जीत लिया था। आप एक अच्छी लेखिका हैं। सौम्य एवं मृदुभाषी वक्ता हैं । रामपुर के साहित्यिक-वैचारिक परिदृश्य में आपका प्रमुख स्थान है।
15) शौकत अली खॉं एडवोकेट
हाल ही में दिवंगत शौकत अली खां एडवोकेट एक लंबे अरसे तक वकील के रूप में जानी पहचानी हस्ती रहे। राजनीतिक जलसों में अपने भाषणों से चर्चित रहे। अनूठी वक्तृता शैली से साहित्यिक और सामाजिक समारोहों में श्रोताओं को आकृष्ट करने की आपकी अनूठी क्षमता थी।
जीवन के अंतिम वर्षों में आपने भारी परिश्रम से ‘रामपुर का इतिहास’ नामक पुस्तक लिखी जो नवाब रजा अली खान के शासनकाल में रामपुर की यथार्थ स्थिति का जीता-जागता दस्तावेज कही जा सकती है। इस पुस्तक में लगभग चालीस अध्याय हैं। तथ्यों की भरमार है। जो तथ्य किसी को ढूंढना हो, वह और कहीं मिले न मिले लेकिन शौकत अली खान की पुस्तक रामपुर का इतिहास में अवश्य मिल जाएगा। संदर्भ ग्रंथ के रूप में इससे बेहतरीन कोई दूसरी किताब नहीं है। रामपुर के बारे में भविष्य में अगर किसी को कुछ लिखना हो तो वह शौकत अली खान और उनकी पुस्तक के उल्लेख के बगैर पूरा नहीं हो सकता।
शौकत साहब यों तो हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी तीनों भाषाओं के परम ज्ञाता थे, लेकिन हिंदी के प्रति उनकी आत्मीयता बहुत अधिक थी। एक बार ज्ञान मंदिर पुस्तकालय में हिंदी दिवस समारोह के वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए उन्होंने बताया था कि युवावस्था में जब हिंदी आंदोलन चल रहा था, वह जेल भी गए थे। तात्पर्य यह है कि सच्चाई के लिए लड़ने, भिड़ने और मोर्चे पर डट जाने वाले वह व्यक्ति थे।
जीवन के अंतिम वर्ष में आप सौलत पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष चुने गए थे। इस लाइब्रेरी को लेकर आपकी अनेक योजनाएं थीं ।आप अंतिम दिनों में अपनी आत्मकथा भी लिख रहे थे। नवंबर 2021 में आपके असामयिक निधन से रामपुर को गहरी क्षति हुई।
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संदर्भ:
1) संबंधित व्यक्तियों से भेंट वार्ता
2) व्यक्तिगत जानकारी