रामधारी सिंह ’दिनकर’
सादर नमन🙏🙏🙏
ज्योतिर्मय हो जाता सर्वत्र ,उदित होते हैं जब पूरब से प्रभाकर
साहित्य हुआ ज्योतिर्मय जब जन्म लिए आप सिमरिया के’दिनकर’
ओजस्वी साहित्य के प्रणेता, हुई सम्मानित हिंदी जिनसे,मिली महत्ता
नित नए सोपान पे साहित्य सदा अग्रणी रहे, बनकर सदा ही अग्रता
स्वरचित