रामचंद्र की जय (गीत)
रामचंद्र की जय (गीत)
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रावण मारा सिया छुड़ाई , रामचंद्र की जय
(1)
कथा सुनो यह मर्यादित जीवन जीने वाले की
सौतेली माँ के प्रदत्त विष को पीने वाले की
वन को गए पिता की आज्ञा से हँसकर रघुराई
वन में पापी रावण ने तब उनकी सिया चुराई
लंकापति के वैभव – बल का नहीं राम को भय
रावण मारा सिया छुड़ाई , रामचंद्र की जय
(2)
अहंकार में डूबा रावण लुटिया आप डुबाई
महावीर हनुमान आग लंका में गए लगाई
रामसेतु को बाँधा प्रभु ने अचरज एक बड़ा था
बूटी संजीवनी लिए पर्वत पूरा उखड़ा था
जीत सत्य की होगी इसमें क्या कैसा संशय
रावण मारा सिया छुड़ाई , रामचंद्र की जय
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451