राब्ता
आ बैठ मेरे पास,
तूँ कहाँ भागता है.
तूँ मन जैसा चंचल,
यहाँ वहां भागता है.
तेरे सिवा न है कोई मेरा,
मेरा तो बस तुझसे राब्ता है.
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
आ बैठ मेरे पास,
तूँ कहाँ भागता है.
तूँ मन जैसा चंचल,
यहाँ वहां भागता है.
तेरे सिवा न है कोई मेरा,
मेरा तो बस तुझसे राब्ता है.
-सिद्धार्थ गोरखपुरी